कभी ऐसा हुआ है कि आपने भरपेट खाना खाया हो, लेकिन कुछ ही देर बाद फिर से भूख लगने लगी हो? अगर हां, तो अब इसका जवाब विज्ञान ने ढूंढ़ निकाला है. अमेरिका के यूनिवर्सिटी ऑफ साउदर्न कैलिफोर्निया (USC) के वैज्ञानिकों ने ब्रेन में ऐसी खास न्यूरॉन्स की खोज की है, जो खाने की यादें यानी ‘मील मेमोरी’ (Meal Memory) बनाते हैं. जब ये सिस्टम गड़बड़ करता है, तो हमारा दिमाग यह याद नहीं रख पाता कि हमने अभी-अभी खाना खाया है और हम फिर से खाने लगते हैं. यह अध्ययन प्रतिष्ठित पत्रिका नेचर कम्युनिकेशन्स में प्रकाशित हुआ है.
ब्रेन के वेंट्रल हिप्पोकैम्पस नामक हिस्से में मौजूद कुछ विशेष न्यूरॉन्स, खाने के अनुभवों को एक तरह की मेमोरी ट्रेस के रूप में स्टोर करते हैं. इन्हें वैज्ञानिकों ने ‘मील एंग्राम’ (Meal Engrams) नाम दिया है. ये मेमोरी न सिर्फ यह रिकॉर्ड करती है कि क्या खाया गया, बल्कि कब और कहां खाया गया यह भी याद रखती है.
अध्ययन के अनुसार, जब ये एंग्राम ठीक से बनते नहीं हैं (जैसे कि टीवी देखते हुए या फोन पर स्क्रॉल करते हुए खाते समय) तब दिमाग खाने के अनुभव को सही से दर्ज नहीं कर पाता और हमें बार-बार भूख लगने लगती है.
भूख और ब्रेन का रिश्ताजब वैज्ञानिकों ने इन ‘मील मेमोरी’ न्यूरॉन्स को नष्ट कर दिया, तो लैब में मौजूद चूहों को खाने की जगह याद नहीं रही और वे बार-बार खाना खाने लगे. लेकिन दिलचस्प बात यह रही कि उनकी बाकी याददाश्त पर इसका कोई असर नहीं पड़ा. इससे साफ हुआ कि दिमाग में खाने की यादें स्टोर करने के लिए एक खास सिस्टम है.
क्या होगा इससे फायदा?अध्ययन के वरिष्ठ लेखक प्रो. स्कॉट कनॉस्की ने बताया कि यह रिसर्च मोटापे और ओवरईटिंग को समझने में मदद कर सकती है. अभी तक वजन कम करने पर सिर्फ डाइट और एक्सरसाइज पर फोकस किया जाता था, लेकिन अब यह भी जरूरी हो गया है कि लोग ध्यान से खाएं और खाने को याद भी रखें.
Disclaimer: प्रिय पाठक, हमारी यह खबर पढ़ने के लिए शुक्रिया. यह खबर आपको केवल जागरूक करने के मकसद से लिखी गई है. हमने इसको लिखने में सामान्य जानकारियों की मदद ली है. आप कहीं भी कुछ भी अपनी सेहत से जुड़ा पढ़ें तो उसे अपनाने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें.