नई दिल्ली: एक नए शोध में वैज्ञानिकों ने एक ऐसी तकनीक का विकास किया है जिससे 60 और 70 वर्ष की महिलाओं को भी अपने जेनेटिक रूप से संबंधित बच्चे पैदा करने का मौका मिल सकता है। इस तकनीक के माध्यम से स्किन कोशिकाओं से ली गई डीएनए को मानव अंडे में बदलकर उन्हें प्रजनन करने की क्षमता प्रदान की जा सकती है।
ओरेगन हेल्थ एंड साइंस यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने स्किन कोशिकाओं से ली गई डीएनए के साथ मानव अंडे का निर्माण किया और उन्हें शुक्राणु से प्रजनित किया। हालांकि यह तकनीक अभी भी अपने शुरुआती चरण में है, लेकिन इसके परिणामस्वरूप 60 और 70 वर्ष की महिलाओं के लिए भी प्रजनन के अवसर खुल सकते हैं और समलैंगिक जोड़ों के लिए भी यह एक अच्छा विकल्प हो सकता है जो अपने जेनेटिक रूप से संबंधित बच्चे पैदा करना चाहते हैं।
कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि यह तकनीक अभी भी अपने शुरुआती चरण में है, लेकिन अगर यह सफल होती है, तो इसका उपयोग 10 से 15 वर्षों में किया जा सकता है।
डॉ. पाओलो अमाटो, ओरेगन हेल्थ एंड साइंस यूनिवर्सिटी में प्रजनन एंडोक्रिनोलॉजिस्ट और प्रोफेसर ऑफ ऑब्सट्रिक्स एंड गाइनेकोलॉजी ने बताया कि यह शोध और अध्ययन बहुत ही प्रारंभिक चरण में है, लेकिन अगर यह सफल होती है, तो यह जोड़ों और प्रजनन की समस्या से ग्रस्त लोगों के लिए एक नई उम्मीद का स्रोत बन सकती है, खासकर 60 और 70 वर्ष की महिलाओं के लिए जिन्हें अपने अंडों की कमी के कारण प्रजनन की समस्या हो रही है।
अमाटो ने आगे कहा कि अगर यह तकनीक सफल होती है, तो यह समलैंगिक जोड़ों के लिए भी एक अच्छा विकल्प हो सकता है जो अपने जेनेटिक रूप से संबंधित बच्चे पैदा करना चाहते हैं। आम तौर पर, समलैंगिक जोड़े अपने बच्चे के लिए डोनर अंडे का उपयोग करते हैं, लेकिन इस तकनीक के माध्यम से वे अपने स्किन कोशिकाओं से एक अंडा बना सकते हैं और उसे शुक्राणु से प्रजनित कर सकते हैं।
हालांकि, अमाटो ने आगे कहा कि यह तकनीक अभी भी अपने शुरुआती चरण में है और इसमें अभी भी बहुत काम करना बाकी है। उन्होंने कहा कि हमें अभी भी बहुत कुछ सीखना है और इस तकनीक को सफल बनाने के लिए हमें अभी भी बहुत मेहनत करनी होगी।

