अवम का सच की एक रिपोर्ट के अनुसार, उच्चतम न्यायालय ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण आदेश पारित किया है। इस आदेश के अनुसार, महेश रौत को उनकी चिकित्सा स्थिति के आधार पर बेल मिल गई है। इस मामले में रौत को पहले से ही बेल मिल गई थी, लेकिन उच्चतम न्यायालय ने उनकी चिकित्सा स्थिति को देखते हुए उन्हें 6 सप्ताह के लिए बेल देने का निर्णय किया है।
इस मामले में रौत की बेल के लिए आवेदन किया गया था, जिसमें उन्होंने अपनी चिकित्सा स्थिति को आधार बनाया था। उच्चतम न्यायालय के दो-जज बेंच ने इस मामले में सुनवाई की और रौत को बेल देने का निर्णय किया। न्यायमूर्ति एम एम सुंदरेश और न्यायमूर्ति सतीश कुमार शर्मा के नेतृत्व में इस बेंच ने रौत की बेल के लिए आवेदन को स्वीकार कर लिया।
इस मामले में रौत की बेल के लिए विरोधी पक्ष ने भी अपना पक्ष प्रस्तुत किया। एनआईए के वकील ने रौत की बेल के लिए विरोध किया और कहा कि रौत के खिलाफ गंभीर आरोप हैं, क्योंकि उन पर माओवादियों को फंड देने का आरोप है। इस मामले में रौत के अलावा अन्य अभियुक्त ज्योति जगताप की भी बेल के लिए सुनवाई होनी है।
जगताप की बेल के लिए सुनवाई के दौरान, उनके वकील ने कहा कि यह मामला छह से सात साल से अधिक समय से चल रहा है। उच्च न्यायालय ने जगताप की बेल का विरोध किया था, क्योंकि उन्हें माओवादी संगठन के साथ जुड़ने का आरोप था। उच्च न्यायालय ने कहा था कि जगताप की भूमिका माओवादी संगठन के एक बड़े अपराधी साजिश में शामिल थी।
इस मामले में जगताप की बेल के लिए सुनवाई के दौरान, उच्चतम न्यायालय ने कहा कि जगताप को उनकी चिकित्सा स्थिति के आधार पर बेल मिल सकती है। उच्चतम न्यायालय ने जगताप की बेल के लिए सुनवाई के लिए अक्टूबर में समय निर्धारित किया है।