चंदौली में सब्जी और मसाले की खेती को बढ़ावा देने के लिए योजना शुरू
चंदौली जिले में धान की पारंपरिक खेती के साथ-साथ किसानों की आय बढ़ाने के लिए उद्यान विभाग ने सब्जी और मसाले की खेती को बढ़ावा देने की योजना बनाई है. इसके तहत एकीकृत वागवानी विकास मिशन योजना के अंतर्गत किसानों को लतावर्गीय सब्जी और मसाले की खेती के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है. इससे किसान अपनी आय दोगुनी करने में सक्षम होंगे.
वर्तमान वर्ष के लिए जिले में 120 हेक्टेयर में लतावर्गीय सब्जी, चार हेक्टेयर में लहसुन, दो हेक्टेयर में हल्दी और छह हेक्टेयर में मसाले की खेती करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है. योजना में पंजीकृत किसानों को प्रति हेक्टेयर अनुदान भी प्रदान किया जाएगा. किसानों के लिए आवेदन आनलाइन और आफलाइन दोनों माध्यम से किया जा सकता है. जिला उद्यान अधिकारी शैलेंद्र दुबे ने बताया कि देश के कुल 112 और प्रदेश के आठ आकांक्षात्मक जिलों में चंदौली शामिल है. यह जिला धान के कटोरे के रूप में विख्यात है, लेकिन अब यहां किसानों को धान और गेहूं की पारंपरिक खेती के साथ ही सब्जी और मसाले की खेती करने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है.
किसानों की आय बढ़ाने के उद्देश्य से अंतर्राष्ट्रीय स्तर के इंडो-इजराइल सेंटर ऑफ एक्सीलेंस (Vegetable Center) की स्थापना की जा रही है. इसमें आधुनिक तकनीक से तैयार पौधे किसानों को उपलब्ध कराए जाएंगे. इस केंद्र से किसानों को उच्च गुणवत्ता वाले बीज और पौधे मिलेंगे, जिससे उत्पादन बढ़ेगा और लागत कम होगी. सब्जी की खेती में टमाटर, पत्ता गोभी, फूलगोभी सहित अन्य लतावर्गीय सब्जियां शामिल हैं. मसाले की खेती में हल्दी, लहसुन, धनिया, मिर्च और अन्य मसाले शामिल होंगे.
जिले में इस पहल से लगभग 46 हजार उपभोक्ताओं को भी लाभ होगा, क्योंकि उत्पादन बढ़ने से स्थानीय बाजार में सब्जी और मसालों की आपूर्ति में सुधार आएगा. उद्यान विभाग ने किसानों से अपील की है कि वे निर्धारित लक्ष्यों के अनुसार पंजीकरण कर आवेदन करें और योजना का लाभ उठाएं. इसके अलावा विभाग की टीम नियमित रूप से किसानों को तकनीकी मार्गदर्शन प्रदान करेगी, जिससे उन्हें उन्नत कृषि तकनीक और खेती के आधुनिक तरीकों के बारे में जानकारी मिलेगी.
शैलेंद्र दुबे ने कहा कि इस योजना का उद्देश्य न केवल किसानों की आय बढ़ाना है, बल्कि उन्हें आर्थिक रूप से समृद्ध बनाना भी है. सब्जी और मसाले की खेती से किसानों को धान और गेहूं की पारंपरिक खेती पर निर्भर रहने की बजाय अतिरिक्त आय का अवसर मिलेगा. यह योजना 2025-26 में पूरी तरह से क्रियान्वित की जाएगी. इस पहल के माध्यम से चंदौली जिले के किसान अधिक लाभकारी फसलों की ओर बढ़ेंगे और पारंपरिक कृषि के साथ-साथ उन्नत तकनीक का उपयोग कर समृद्ध जीवन जी सकेंगे.

