सावन में रायबरेली के इस मंदिर में उमड़ती है श्रद्धालुओं की भीड़, ढाई सौ वर्ष पुराना शिवलिंग, जानें मान्यता

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Last Updated:July 27, 2025, 23:14 ISTरायबरेली जिले में जिला मुख्यालय से लगभग 10 किलोमीटर की दूरी पर हरचंदपुर थाना क्षेत्र अंतर्गत रहवां गांव में स्थित एक ऐसा शिव मंदिर है, जो लगभग ढाई सौ वर्ष पुराना है. यह मंदिर अपने आप में कई रहस्य समेटे हुए है.हिंदू धर्म में सावन का महीना भगवान शिव का अति प्रिय माह माना जाता है. भगवान शिव के भक्तों के लिए यह महीना अति विशेष महत्व रखता है. इस महीने में शिव मंदिरों में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ती है, जो शिवलिंग पर जलाभिषेक, दुग्धाभिषेक व बेलपत्र अर्पित करके भगवान शिव की आराधना करते हैं. सावन का महीना बारिश के मौसम से जुड़ा होता है. जो इसे और भी पवित्र व भक्तिमय बना देता है.

इसी कड़ी में रायबरेली जिले में जिला मुख्यालय से लगभग 10 किलोमीटर की दूरी पर हरचंदपुर थाना क्षेत्र अंतर्गत रहवां गांव में स्थित एक ऐसा शिव मंदिर है, जो लगभग ढाई सौ वर्ष पुराना है. यह मंदिर अपने आप में कई रहस्य समेटे हुए है.

स्वयं भू शिवलिंग
रहवां गांव में स्थित अचलेश्वर महादेव मंदिर का शिव लिंग स्वयंभू है. सावन माह में यहां पर रायबरेली जनपद समेत आस पास के जनपदों से भी श्रद्धालु दर्शन करने के लिए आते हैं.

ढाई सौ वर्ष पुराना है यह मंदिरमंदिर के मुख्य पुजारी गंगाराम गिरी ने लोकल 18 से कहा कि यह मंदिर लगभग ढाई सौ वर्ष पुराना है. हमारे पूर्वज बताया करते थे कि यहां पर पहले विशालकाय जंगल हुआ करता था. जहां पर रहवां स्टेट के राजा जगन्नाथ बक्स सिंह की गायों को लेकर चरवाहे जंगल चराने के लिए आया करते थे. चरवाहे जब गाय यहां से वापस लेकर गौशाला जाते थे . उनमें से एक गाय दूध नहीं देती थी. कई दिनों तक यही चलता रहा. लेकिन किसी को कुछ पता ना चल सका. फिर चरवाहे ने एक दिन गाय का पीछा किया. देखा की गाय जंगल के बीच में आकर खड़ी हो जाती है और अपना दूध एक काले पत्थर पर चढ़ा देती है. यह देखकर चरवाहा अचंभित हो गया.

जंगल पहुंचकर शिवलिंग पर माथा टेका
उसने पूरी बात राजा जगन्नाथ बक्स सिंह को बताई तो उन्होंने अपनी सेना को आदेश देकर जंगल की सफाई शुरू करा दी .इसी दौरान उन्हें शिवलिंग दिखाई दिया. तो राजा ने सैनिकों को आदेश दिया कि शिवलिंग की खुदाई कर वह अपने महल के परिसर में इस शिवलिंग को स्थापित करेंगे. परंतु सैनिक शिवलिंग की जितनी खुदाई करते शिवलिंग उतना बढ़ता ही चला जाता था. यह जानकारी जैसे ही राजा को हुई तो उन्होंने जंगल पहुंचकर शिवलिंग पर माथा टेका और यहीं पर मंदिर का निर्माण शुरू कर दिया. तब से लेकर आज तक यह मंदिर लोगों की आस्था का केंद्र बना हुआ है.

लोगों की आस्था का है प्रमुख केंद्रभगवान अचलेश्वर महादेव के दर्शन करने के लिए अपने परिवार के साथ आए रायबरेली के रहने वाले आशीष अवस्थी बताते हैं कि वह बचपन से ही इस मंदिर पर दर्शन के लिए आते रहे हैं. यह लोगों की आस्था का प्रमुख केंद्र है. खास कर सावन माह में यहां पर दर्शन करने से भगवान भोलेनाथ सभी की मनोकामना पूर्ण करते हैं.Location :Rae Bareli,Uttar Pradeshhomedharmसावन में रायबरेली के इस मंदिर में उमड़ती है श्रद्धालुओं की भीड़, जानें मान्यता

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