Satyapal Malik death reason morbid obesity causes complication life expectancy | क्या है ‘साइलेंट किलर’ मॉर्बिड ओबेसिटी? सत्यपाल मलिक भी थे चपेट में, ये गलती कर रहे तो आप अगला टारगेट

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Satyapal Malik death reason morbid obesity causes complication life expectancy | क्या है 'साइलेंट किलर' मॉर्बिड ओबेसिटी? सत्यपाल मलिक भी थे चपेट में, ये गलती कर रहे तो आप अगला टारगेट



मोटापा सिर्फ बॉडी के शेप को ही नहीं बल्कि सेहत को भी बिगाड़ने का काम करती है. इसे कंट्रोल करने में जितनी ज्यादा देरी होती है, उतना ही यह गंभीर रूप लेता जाता है. खासकर जब मोटापा अपनी सीमा लांघकर मॉर्बिड ओबेसिटी के स्तर पर पहुंच जाता है, तो यह शरीर के लगभग हर अंग पर घातक असर डालता है. इसके कारण शरीर धीरे-धीरे खोखला होता जाता है. हार्ट, फेफड़ों से लेकर लिवर, किडनी तक सभी ऑर्गन बीमारियों की चपेट में आने लगते हैं. इसलिए इसे साइलेंट किलर कहना गलत नहीं है. 
हाल ही में कई बीमारियों से लंबी लड़ाई के बाद जम्मू-कश्मीर के पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक का 79 की उम्र में निधन हो गया. इलाज करने वाले डॉक्टरों ने बताया कि वो काफी समय से मॉर्बिड ओबेसिटी से ग्रस्त थे. इस समस्या का सामना भारत समेत दुनियाभर में लाखों लोग कर रहे हैं. यदि आप भी लगातार वजन बढ़ने, शारीरिक निष्क्रियता और खराब खान-पान की अनदेखी कर रहे हैं, तो सावधान हो जाइए, अगला नंबर आपका भी हो सकता है.
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मॉर्बिड ओबेसिटी क्या है?
मॉर्बिड ओबेसिटी को क्लास III मोटापा भी कहा जाता है. यह एक क्रोनिक बीमारी है. जिसमें आपका बॉडी मास इंडेक्स (BMI) 40 या उससे ज्यादा होता है. मॉर्बिड ओबेसिटी किसी व्यक्ति के सामान्य जीवन और स्वास्थ्य को गंभीर रूप से प्रभावित करता है. यह कोई अकेली बीमारी नहीं है, बल्कि यह दर्जनों बीमारियों की जड़ बन है. ये कंडीशन ओवरवेट और मोटापे का अगला स्टेज होता है, जहां शरीर फैट बर्न करना बंद कर देता है. इससे कम करना बिल्कुल भी आसान नहीं होता है.   
किन बीमारियों की जड़ मॉर्बिड ओबेसिटी?
मॉर्बिड ओबेसिटी वाले व्यक्ति को कई सारी जानलेवा बीमारियों को खतरा होता है. इसमें एथेरोस्क्लेरोसिस, सांस लेने संबंधी समस्याएं, जैसे मोटापा हाइपोवेंटिलेशन सिंड्रोम (OHS), अग्नाशय, कोलोरेक्टल, ब्रेस्ट और लिवर कैंसर, डिप्रेशन, हार्ट डिजीज, हाई बीपी, किडनी डिजीज, लिवर डिजीज, ऑस्टियोआर्थराइटिस, मेटाबोलिक सिंड्रोम, ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया, टाइप 2 डायबिटीज के अलावा फर्टिलिटी संबंधी समस्याएं शामिल हैं. 
क्या आप खतरे में हैं, ऐसे करें पहचान
–  जरा सी सीढ़ी चढ़ने पर सांस चढ़ना – लगातार थकान और नींद पूरी न होना- कमर का माप 40 इंच से अधिक (पुरुषों में), 35 इंच से अधिक (महिलाओं में)- ब्लड प्रेशर या शुगर कंट्रोल में न रहना- शरीर में भारीपन और सुस्ती

मॉर्बिड ओबेसिटी को ट्रिगर करने वाले कारक
शरीर को मोटापा के सबसे खतरनाक स्तर पर पहुंचाने के लिए कई सारे कारक जिम्मेदार होते हैं. इसमें कॉमन कारण कैलोरी बर्न न होना. इसके अलावा कम से कम 15 ऐसे जीन पहचाने गए हैं जो मोटापे से जुड़े हैं. कुछ अनुवांशिक सिंड्रोम जैसे कि कोहेन सिंड्रोम और डाउन सिंड्रोम से भी मोटापा हो सकता है. इसके अलावा हाइपोथायरायडिज्म, कुशिंग सिंड्रोम, PCOS, कुछ दवाइयां जैसे एंटीडिप्रेसेंट्स, एंटीसाइकोटिक्स, कॉर्टिकोस्टेरॉइड्स और एंटीसिजर, ओबेसोजेन्स केमिकल, अनहेल्दी फूड्स मुख्य रूप से शामिल हैं. 
इन लोगों को ज्यादा खतरा
मोटापा लाइफस्टाइल से जुड़ी एक गंभीर समस्या है. हालांकि कुछ मेडिकल और जेनेटिक कारण भी इसके लिए जिम्मेदार होते हैं, लेकिन फिर भी इसे हेल्दी आदतों की मदद से कंट्रोल किया जा सकता है. ऐसे में यदि आप 7 घंटे से कम नींद वाले लोगों में BMI अधिक पाया जाता है. इसके अलावा स्ट्रेस हार्मोन कोर्टिसोल का हाई लेवल, बढ़ती उम्र, लिंग- महिलाओं में पुरुषों की तुलना में फैट ज्यादा होता है. यदि आप इन सभी पैरामीटर पर खुद को खड़ा पाते हैं तो आप मॉर्बिड ओबेसिटी या इसके रिस्क के दायरे में हो सकते हैं. 
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बचाव के उपाय
मोटापा से बचाव के लिए रोजाना कम से कम 30 मिनट तेज चलना या हल्की कसरत करना जरूरी है. हालांकि कई लोग जिम में भारी भरकम कसरत करते हैं, लेकिन आपको वास्तव में हेल्दी रहने के लिए हफ्ते में सिर्फ 50 मिनट वर्कआउट की जरूरत होती है. इसका ध्यान रखना जरूरी है क्योंकि ज्यादा एक्सरसाइज से भी सेहत को गंभीर नुकसान पहुंच सकता है. इसके अलावा प्रोसेस्ड फूड, चीनी, और तले हुए खाने से परहेज करें. क्योंकि ये फूड्स कैलोरी और फैट में हाई होते और पोषक तत्व इनमें न की मात्रा में होता है. घर पर बना सादा खाना ही बेहतर सेहत के लिए बेस्ट ऑप्शन माना जाता है. इसके साथ ही रोज 7-8 घंटे की नींद लें. लेकिन ध्यान रखें सिर्फ इसे सोने के घंटों का ध्यान रखना जरूरी नहीं है. हेल्दी रहने के लिए एक रूटीन को फॉलो करना जरूरी है. हर 6 महीने में अपना BMI जांचें. अगर वेट कंट्रोल न हो तो डॉक्टर से परामर्श करें. 
Disclaimer: प्रिय पाठक, हमारी यह खबर पढ़ने के लिए शुक्रिया. यह खबर आपको केवल जागरूक करने के मकसद से लिखी गई है. हमने इसको लिखने में घरेलू नुस्खों और सामान्य जानकारियों की मदद ली है. आप कहीं भी कुछ भी अपनी सेहत से जुड़ा पढ़ें तो उसे अपनाने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें.



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