साड़ी भारतीय नारी की पहचान, गरिमा और शान का प्रतीक है. सदियों से, यह भारतीय संस्कृति का एक अभिन्न अंग रहा है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि आपकी पसंदीदा साड़ी कैंसर का खतरा भी बढ़ा सकती है? यह सुनकर आपको हैरानी हो सकती है, लेकिन यह सच है. साड़ी ही नहीं, कुछ और भी कपड़े हैं जिन्हें पहनने के तरीके में अगर गड़बड़ हो तो वो कैंसर की वजह बन सकते हैं.
साड़ी कैंसर केवल भारत में पाया जाता है क्योंकि भारत में ही साड़ी सबसे ज्यादा पहनी जाती है. भारत के कई हिस्सों में महिलाएं साल के 12 महीने और हफ्ते के सातों दिन साड़ी पहनती हैं. साड़ी बांधने के लिए सूती पेटीकोट को सूती धागे से कमर पर कस कर बांधा जाता है. दिल्ली के पीएसआरआई अस्पताल के कैंसर सर्जन डॉ. विवेक गुप्ता के मुताबिक अगर कोई महिला लंबे समय तक साड़ी पहनती है तो उसकी कमर पर रगड़ लगने लगती है और स्किन छिलने व काली पड़ने लगती है. बार-बार छिलने और रिपेयर के इस चक्र में ही कैंसर की शुरुआत हो सकती है.
गर्मी और उमस वाली जगह में ज्यादा खतरासाड़ी कैंसर होने में ड्रेस से ज्यादा साफ सफाई जिम्मेदार है. ऐसे इलाके जहां गर्मी और उमस ज्यादा रहती है, वहां ये कैंसर होने का खतरा ज्यादा रहता है. बिहार और झारखंड से अभी भी इसके केस रिपोर्ट हो रहे हैं. भारत में महिलाओं में पाए जाने वाले कुल कैंसर में से 1 प्रतिशत मामलों में साड़ी कैंसर पाया जाता है. मेडिकल भाषा में इसे Squamous cell carcinoma (SCC) कहा जाता है.
मुंबई में हुई रिसर्चभारत में मुंबई के आर एन कूपर अस्पताल में इस पर रिसर्च भी की गई है. इस रिसर्च में धोती को भी शामिल किया गया था. साड़ी कैंसर का नाम बॉम्बे हॉस्पिटल के डॉक्टरों ने दिया था. जब वहां एक केस आया जिसमें 68 साल की एक महिला में साड़ी कैंसर पाया गया. ये महिला 13 वर्ष की उम्र साड़ी पहन रही थी.
कश्मीर में कांगड़ी कैंसरइसी तरह कश्मीर में कांगड़ी कैंसर पाया जाता है. ये भी एक प्रकार का स्किन कैंसर है. ये कैंसर केवल कश्मीर से रिपोर्ट किया जाता है. बेहद ठंड के दिनों में वहां के पुरुष और महिलाएं मिट्टी के बर्तन में अंगीठी नुमा आग को अपने कपड़ों के अंदर लेकर बैठते हैं, जिससे उन्हें गर्माहट मिले लेकिन पेट और जांघों को लगातार मिल रही ये गर्मी कैंसर की वजह बन सकती है.
जींस से भी कैंसरज्यादा टाइट फिट जींस को पुरुषों में कैंसर के लिए जिम्मेदार माना गया है. दरअसरल बेहद टाइट कसे हुए कपड़े अगर घंटों तक पहने जा रहे हैं तो वो शरीर को नुकसान पहुंचाते हैं. उस हिस्से में ऑक्सीजन का फ्लो गड़बड़ा सकता है. रिसर्च के मुताबिक जींस पुरुषों में निचले हिस्से में तापमान को बढ़ा देती है, जिससे स्पर्म काउंट भी कम हो सकता है और टेस्टीकुलर कैंसर (अंडाशय का कैंसर) भी हो सकता है. हालांकि इस रिसर्च के पुख्ता परिणाम आने अभी बाकी हैं.
कितनी टाइट जींस को ज्यादा टाइट माना जाता है? – अगर स्किन पर निशान पड़ रहे हैं.- कसे होने की वजह से स्किन लाल हो रही है.- सांस लेने में तकलीफ हो.- स्किन रगड़ने लगे तो ये कपड़े बेहद टाइट हैं.
खासतौर पर लगातार अगर कोई टाइट कपड़े पहन रहा है तो उसे सावधान होने की जरुरत है. इनरवियर जैसे ब्रा, अंडरवियर अगर बेहद टाइट हैं तो जरुर ध्यान दें. महीने में एकाध बार फैशन के नाम पर ही ऐसा खतरा मोल लेना चाहिए. जिम के लिए पहने जाने वाले टाइट कपड़े भी परेशानी दे सकते हैं लेकिन क्योंकि वो कपड़े सीमित समय के लिए पहने जाते हैं इसलिए कम दिक्कत होती है.



Source link