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sania mirza says she wanted to win medal at olympics but dream cant come true zee exclusive | Sania Mirza: सानिया मिर्जा का एक ख्वाब रह गया अधूरा, अब उठा दिया इस राज से पर्दा



Sania Mirza Exclusive Interview: सानिया मिर्जा, एक ऐसा नाम जिसने टेनिस की दुनिया में एक वक्त सनसनी मचा दी. करीब 20 साल तक पेशेवर टेनिस खेलने के बाद सानिया ने संन्यास का मन बना लिया है. भारत की इस दिग्गज प्लेयर ने पहले ही ऐलान कर दिया है कि मौजूदा सीजन (2023) उनके करियर का आखिरी सीजन होगा. सानिया ने अपने उस ख्वाब का भी जिक्र किया जो अधूरा रह गया.
चोट के साथ खेल रही हैं
सानिया ने जी न्यूज से एक्सक्लूसिव बातचीत में कहा, ‘हर चीज का समय खत्म होता है और हमें उसे स्वीकार करना होता है.  हमें यह देखना जरूरी होता है कि और भी चीजें हैं, जिन पर ध्यान देना है. मेरी जिंदगी में मेरा परिवार है, मेरा बेटा है. मैं उनके साथ ज्यादा वक्त बिताना चाहती हूं. मैं अब थोड़ा नॉर्मल रहना चाहती हूं, बेटे को स्कूल से पिकअप-ड्रॉप जैसी चीजें. ईमानदारी से कहूं तो मुझे काफी शारीरिक चोट हैं, जिनके साथ मैं खेल रही हूं.’
‘एक दिन में नहीं लेते संन्यास का फैसला’
उन्होंने आगे कहा, ’20 साल से पेशेवर टेनिस खेल रही हूं. करीब 30 साल से इस खेल को जी रही हूं. इसलिए काफी वक्त हो चुका है. संन्यास का फैसला कोई एक रात में नहीं लिया जाता है. किसी दिन आप सोकर उठते हो और कह दो कि बस हो गया… ऐसा नहीं होता है. इसकी एक पूरी प्रक्रिया होती है. मैं हमेशा चाहती हूं कि मैं रिटायर करूं तो अपनी शर्तों पर. जब मैं अच्छा खेल रही हूं, ये नहीं कि खेल से बाहर किया जाए.’
वो सपना जो अधूरा रह गया
करियर में 6 ग्रैंडस्लैम जीतने वालीं सानिया मिर्जा ने कहा, ‘हां हम पिछली बार काफी करीब आए थे मेडल के, लेकिन हां हर चीज वैसे नहीं होती है, जैसा आप सोचते हो. मैं जिंदगी में कई ख्वाब पूरे किए लेकिन एक सपना जो मुझे लगता है कि एक ये बड़ा सपना जो अधूरा रह गया, वो ओलंपिक में मेडल जीतना. हां लेकिन यही भाग्य है. आपको कभी कभी भाग्य के साथ चलना होता है.’ 
टेनिस अकादमी से कर रही हैं अगली पीढ़ी को तैयार
सानिया मिर्जा अपनी टेनिस अकदमी के जरिए कई बच्चों को तैयार कर रही हैं. उन्होंने कहा, ‘आने वाली पीढ़ी के लिए तैयारी की जाए. मैं नहीं चाहती कि भारतीय टेनिस वहीं पहुंच जाए, जहां से शुरुआत हुई. इसे और आगे जाना चाहिए. ये दुखद है कि ग्रैंडस्लैम में भारत की तरफ से प्रतिनिधित्व करने वाला कोई नहीं है. इसलिए मैं नहीं चाहती कि ऐसी स्थिति बनी रहे.’
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