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संभल में घटी हिंदुओं की आबादी, 83 सालों में आज तक बेरहमी से मारे गए हिंदू, रिपोर्ट में दर्ज हुआ दर्दनाक इतिहास।

संभल में हिंदू आबादी की गिरावट का खुलासा हुआ है. यहां की हिंदू आबादी 1947 में लगभग 45 प्रतिशत थी, जो अब घटकर केवल 20 प्रतिशत रह गई है. यह गिरावट लगातार हो रहे दंगों और उपद्रवों के कारण हुई है.

संभल में हिंदुओं के साथ हुए अत्याचारों और दंगों का लंबा और दर्दनाक इतिहास रहा है. 1936 से 2019 तक संभल में कुल 15 बड़े दंगे और उपद्रव हुए, जिनमें 213 लोग मारे गए. इस दौरान 209 हिंदुओं की निर्दयता से हत्या की गई, जबकि केवल चार मुस्लिम मारे गए. खास बात यह है कि 29 मार्च 1978 को होली के बाद हुए दंगों में 184 हिंदुओं को निशाना बनाया गया था, और उस हिंसा में एक भी मुस्लिम की मौत दर्ज नहीं हुई.

संभल का यह इतिहास सांप्रदायिक हिंसा से भरा रहा है. आजादी के समय 1947 में संभल के हिलाली सराय में एक मुस्लिम समुदाय ने जगदीश शरण की हत्या कर दी थी, जिससे दंगे भड़क उठे और कई हिंदुओं की जान गई. अगले ही साल 1948 में वर्तमान सपा विधायक इकबाल महमूद के पिता, बड़े नवाब महमूद हसन खान ने फायरिंग करके दंगा भड़काया था.

1978 के दंगे संभल के सबसे भयंकर सांप्रदायिक संघर्षों में से एक हैं, जहां हिंदुओं को विशेष रूप से निशाना बनाया गया था. इसके बाद भी संभल में कई बार हिंसा हुई. 1992 में बाबरी मस्जिद विध्वंस के बाद फैली हिंसा में दो मुस्लिम मारे गए, जबकि 2019 में नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) के विरोध में हुए उपद्रव के दौरान भी दो मुस्लिमों की मौत हुई.

दंगों के कारण संभल के हिंदू समुदाय में भारी पलायन हुआ है, जिससे क्षेत्र की जनसंख्या में बदलाव आया है और सामाजिक ताने-बाने पर गहरा असर पड़ा है. बार-बार की हिंसा ने संभल की आर्थिक और सामाजिक स्थिति को भी कमजोर किया है. इस पूरे घटनाक्रम से साफ होता है कि संभल में सांप्रदायिक हिंसा में हिंदू समुदाय को बार-बार चुन-चुनकर निशाना बनाया गया है.

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