सैलरी ने रोक रखा है, वरना… बेंगलुरु शिफ्ट हुए एक युवक का सोशल मीडिया पर छलका दर्द, कहा- वापस नोएडा लौट जाता

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सैलरी ने रोक रखा है,वरना...बेंगलुरु शिफ्ट हुए युवक का सोशल मीडिया पर छलका दर्द

नोएडा: सोचिए आप एक ऐसे शहर में रहते हैं जिसे लोग देश की ‘सिलिकॉन वैली’ कहते हैं. जहां करियर के मौके हैं, बड़ी-बड़ी कंपनियां हैं, और लोग कहते हैं कि ज़िंदगी वहीं सेट होती है. लेकिन अगर वही शहर आपको हर दिन पछतावे का एहसास कराए, तो कैसा लगेगा? ऐसा ही कुछ हुआ एक 26 साल के युवक के साथ जो नोएडा से बेंगलुरु शिफ्ट हुआ. अब उसने इस शहर को ‘गंदा, महंगा और असुरक्षित’ बताया.

इस युवक की Reddit पर शेयर की गई पोस्ट अब चर्चा में है. अपनी Reddit पर शेयर की गई पोस्ट में उसने लिखा – “मैं पिछले 26 साल नोएडा में रहा. वहीं पैदा हुआ और पला-बढ़ा. लेकिन जब पिछले साल नौकरी के लिए बेंगलुरु आया, तब से हर दिन लगने लगा कि वापस नोएडा लौट जाऊं. सिर्फ सैलरी ने रोक रखा है, वरना कब का चला गया होता.”

आगे, युवक ने लिखा कि बेंगलुरु में लोग रियल नहीं बल्कि रील लाइफ जीते हैं. हर चीज़ बस दिखावे के लिए होती है कपड़े, लाइफस्टाइल, जगहें… सब कुछ कैमरे के लिए. यहां की ज़िंदगी सोशल मीडिया की पोस्ट बनकर रह गई है, जिसमें असलीपन कहीं खो सा गया है.

खाने-पीने से लेकर घूमने तक सब महंगावहीं, महंगाई पर बोलते हुए इस युवक ने लिखा कि यहां ₹2,000 खर्च करने पर भी साधारण क्वालिटी का खाना मिलता है. रेस्टोरेंट्स में दाम बेवजह ज्यादा हैं, और स्वाद के नाम पर कुछ खास नहीं है. वीकेंड पर बिना बुकिंग के किसी रेस्टोरेंट में जाना बेहद मुश्किल है. हर जगह लंबी लाइनें लगी होती हैं और कई बार तो खाने का मन ही चला जाता है.

ऑटो नहीं मिलते, किराया ज़रूरत से ज़्यादा
बेंगलुरु में ट्रांसपोर्ट को लेकर युवक का अनुभव काफी बुरा रहा. उसने लिखा कि बाहर निकलो तो ऑटो पकड़ना किसी चमत्कार से कम नहीं है. या तो मिलते ही नहीं, और अगर मिल भी गए तो दो किलोमीटर की दूरी के ₹300 मांगते हैं. कई बार तो कैब ऑटो से सस्ती पड़ जाती है.

शहर की सफाई व्यवस्था को लेकर युवक ने नाराजगी जताई. उसने लिखा कि हर 200 मीटर पर कचरे का ढेर दिखता है. सड़कें गंदी हैं और चारों तरफ बदबू फैली रहती है. उसने कहा कि पुराने बेंगलुरु के कुछ इलाके जरूर साफ हैं, लेकिन अब ज़्यादातर ऑफिस वहां नहीं हैं. लोग ऑफिस के आसपास ही रहते और घूमते हैं, और वही इलाका सबसे ज़्यादा गंदा रहता है.

ट्रैफिक और सुरक्षा दोनों चिंता की वजह
बेंगलुरु के ट्रैफिक को लेकर युवक ने लिखा कि जितना सुना था, हालात उससे भी ज़्यादा खराब हैं. ऑफिस टाइम में निकलो तो सड़क पर निकलने की हिम्मत ही नहीं होती. सुरक्षा को लेकर उसने दिल्ली और बेंगलुरु की तुलना करते हुए कहा कि लोग दिल्ली को ‘creepy’ कहते हैं, लेकिन बेंगलुरु भी उससे कम नहीं. यहां भी कुछ लोग इतने अजीब बर्ताव करते हैं कि असहज महसूस होता है. जो लोग कहते हैं कि बेंगलुरु सुरक्षित है, वो बस खुद को समझा रहे हैं.

हालांकि इन अब बातों के बीच युवक ने एक चीज की तारीफ की – बेंगलुरु का मौसम. उसने लिखा कि यहां का मौसम वाकई अच्छा है. ठंडा, आरामदायक और एकदम परफेक्ट. लेकिन जब बाकी सब चीज़ें परेशान करने वाली हों तो अकेला मौसम इंसान को खुश नहीं रख सकता.

1-2 साल की बात और होती है, ज़िंदगी भर नहीं
युवक ने लिखा कि कोई बेंगलुरु में 1-2 साल रह सकता है. अगर करियर की शुरुआत करनी है तो यह ठीक है. लेकिन लंबे समय तक यहां टिकना मुश्किल है. करियर के साथ-साथ संतुलन और सुकून भी ज़रूरी होता है, जो इस शहर में बहुत मुश्किल से मिलता है.

सोशल मीडिया पर लोगों की मिली-जुली प्रतिक्रिया
Reddit पर इस पोस्ट को पढ़कर लोगों की मिली-जुली प्रतिक्रियाएं देखने को मिलीं. कुछ लोगों ने युवक की बातों से पूरी तरह सहमति जताई. उनका भी अनुभव बेंगलुरु को लेकर कुछ ऐसा ही रहा है. वहीं कुछ लोगों ने शहर की तारीफ करते हुए कहा कि बेंगलुरु का मौसम और करियर के मौके देश के किसी भी शहर से बेहतर हैं. कई लोगों का मानना है कि हर शहर की अपनी अच्छाइयां और परेशानियां होती हैं और अनुभव व्यक्ति पर भी निर्भर करता है.
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