Last Updated:December 25, 2025, 23:29 ISTSaharanpur News : सहारनपुर के मशहूर हस्तशिल्पी दिलशाद को शीशम की लकड़ी पर की गई बारीक और उत्कृष्ट नक्काशी के लिए शिल्प गुरु पुरस्कार 2024 से सम्मानित किया गया है. नई दिल्ली के विज्ञान भवन में हुए समारोह में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने उन्हें यह सम्मान प्रदान किया, जिससे जिले की पारंपरिक हस्तशिल्प कला को एक बार फिर राष्ट्रीय पहचान मिली.सहारनपुर : एक बार फिर देश ने उत्तर प्रदेश के सहारनपुर की पारंपरिक हस्तशिल्प कला को सलाम किया है. सहारनपुर के प्रसिद्ध हस्तशिल्पी दिलशाद को वर्ष 2024 के शिल्प गुरु पुरस्कार से सम्मानित किया गया है. नई दिल्ली स्थित विज्ञान भवन में आयोजित भव्य समारोह में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने उन्हें यह सम्मान प्रदान किया. यह सम्मान मिलने के बाद न केवल दिलशाद बल्कि पूरे सहारनपुर के कारीगरों में गर्व का माहौल है.
यह पहली बार नहीं है जब दिलशाद की कला को राष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिली हो. इससे पहले वर्ष 1997 में तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी भी उनकी कारीगरी की सराहना कर चुके हैं. दिलशाद चौथी पीढ़ी के कारीगर हैं, जो अपने परिवार की विरासत को आगे बढ़ाते हुए लकड़ी को अपने हाथों से नई पहचान दे रहे हैं. उनके परदादा, दादा और पिता भी इसी पारंपरिक हस्तशिल्प से जुड़े रहे हैं.
मुख्यमंत्री योगी ने दी बधाईदिलशाद को यह प्रतिष्ठित पुरस्कार शीशम की लकड़ी से तैयार की गई एक आकर्षक सेंट्रल टेबल पर की गई बारीक और उत्कृष्ट नक्काशी के लिए दिया गया है. उनकी इस उपलब्धि पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर बधाई संदेश साझा किया है. खास बात यह है कि दिलशाद के तीनों बेटे मोहम्मद उस्मान, रिहान और इरशाद भी अपनी कारीगरी के लिए पहले ही राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त कर चुके हैं. दिलशाद पिछले करीब 50 वर्षों से लकड़ी पर हाथ से की जाने वाली नक्काशी कला से जुड़े हुए हैं.
क्यों मिला शिल्प गुरु पुरस्कार?दिलशाद ने बताया कि जिस सेंट्रल टेबल के लिए उन्हें शिल्प गुरु पुरस्कार मिला, उसे तैयार करने में चार से पांच महीने का समय लगा. सबसे पहले लकड़ी का विशेष ट्रीटमेंट किया गया ताकि उसमें कीड़े न लगें. इसके बाद महीनों तक बेहद बारीक नक्काशी कर उसे एक शानदार रूप दिया गया. उन्होंने बताया कि इस कला में हाथ और दिमाग का संतुलन बेहद जरूरी होता है, क्योंकि जो कल्पना दिमाग में होती है, वही हाथों के जरिए लकड़ी पर उकेरी जाती है.
सहारनपुर के कारीगरों को पुरस्कार किया समर्पितराष्ट्रपति से सम्मान प्राप्त करने पर दिलशाद ने कहा कि यह पुरस्कार सिर्फ उनका नहीं, बल्कि सहारनपुर के हर उस कारीगर का सम्मान है जो लकड़ी पर नक्काशी का काम करता है. उन्हें विशेष खुशी इस बात की है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी उनकी उपलब्धि को सार्वजनिक रूप से सराहा है, जिससे सहारनपुर की हस्तशिल्प कला को नई पहचान मिली है.Location :Saharanpur,Uttar PradeshFirst Published :December 25, 2025, 23:29 ISThomeuttar-pradeshशीशम की लकड़ी पर जादू रचने वाले दिलशाद बने शिल्प गुरु

