रिपोर्ट – निखिल त्यागीसहारनपुर. किसान परम्परागत खेती के अलावा अपनी आय बढ़ाने के लिए नई-नई तकनीकों के माध्यम से सब्जी, फल, फूल आदि की ओर आकर्षित हो रहा है. कुछ किसान कृषि अधिकारियों के निर्देशन में बागवानी, फूल आदि की खेती तकनीकी रूप से करने में लगे हुए हैं. इनमे से कुछ किसानों को सफलता भी हासिल हुई है. तीतरो निवासी किसान मनोज ने भी खेती में कुछ नया करने की सोच रखी. उन्होंने कश्मीरी बेर उगाने के लिए अपनी तैयारी शुरू की और करीब एक हेक्टेयर भूमि में कश्मीरी थाईएप्पल लगाया. लेकिन 3 वर्षो के बाद उन्हें इस खेती में खामी नजर आयी. क्योंकि उम्मीद के मुताबिक उन्हें इस खेती से आमदनी नहीं हुई, बल्कि खर्च अधिक आ गया.किसान मनोज ने बताया कि उनकी सोच थी कि परम्परागत खेती के अतिरिक्त कुछ नया किया जाए. इसलिए बहुत दिनों तक ढूढने के बाद यूट्यूब पर वीडियो देखी, तो कश्मीरी थाईएप्पल प्रजाति के बेर की खेती करने का विचार आया. इसके लिए उन्होंने इस प्रजाति को तैयार करने के लिए बारीक से जानकारी प्राप्त की और करीब 15 बीघा खेत में कश्मीरी प्रजाति के थाईएप्पल बेर को लगाने की योजना बना दी.

तीन लाख से ज्यादा खर्चामनोज कुमार ने बताया कि कश्मीर से थाईएप्पल बेर के पौधे लाकर उन्हें अपनी जमीन में लगाया. जिस पर उनका करीब साढ़े तीन लाख रू खर्च आया. जिसमे खेत की तार बाढ़ भी की, जिससे आवारा पशु या अन्य तरह के जानवर कोई नुकसान न दे पाए.जलवायु इस प्रजाति के अनुकूल नहींमनोज कुमार ने बताया कि कश्मीरी थाईएप्पल प्रजाति का बेर लगाने के बाद इससे पहले वर्ष पैदावार कम हुई. अगले वर्ष भी उम्मीद के मुताबिक फसल का उत्पादन नहीं हो पाया. उन्होंने बताया कि इस वर्ष भी हमें थाईएप्पल की पैदावर बहुत कम हुई. जिसका सबसे बड़ा कारण है कि हमारे क्षेत्र की जलवायु इस प्रजाति के बेर के लिए अनुकूल नही हैं. उन्होंने बताया कि इस कारण यह बेर पूरा समय होने के बाद भी पक नहीं पाता. उन्होंने किसान भाईयों से अपील करते हुए कहा कि अगर आप बागवानी में कुछ नया लगाना चाहते हैं तो सबसे पहले उस प्रजाति के विषय में जानकारी प्राप्त करे और सहारनपुर क्षेत्र की जलवायु के अनुकूल ही खेती में कोई नई फसल लगाएं.

बहुत कम हो रहा है उत्पादकिसान मनोज कुमार ने बताया कि कश्मीरी थाईएप्पल प्रजाति के बेर की कीमत मंडी में 20 रु से 25 रु प्रति किलो रहती है. एक पेड़ से कम से कम 20 किलोग्राम फसल उत्पाद होना आवश्यक है. जिससे किसान की आमदनी हो सकती है. लेकिन हमारे द्वारा लगाए गए कश्मीरी थाईएप्पल प्रजाति के पेड़ से अधिकतम 5 किलोग्राम फसल का उत्पादन हो पाया है. जिसका मुख्य कारण यहां की जलवायु है, जो इस प्रजाति के लिए कतई भी अनुकूल नहीं है.
ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें News18 हिंदी| आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट News18 हिंदी|Tags: Farmer, Farming, Saharanpur newsFIRST PUBLISHED : March 11, 2023, 08:46 IST



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