चमकदार और सीधे बाल पाने की चाहत में कई लोग हेयर स्ट्रेटनिंग ट्रीटमेंट करवाते हैं, लेकिन क्या आपको पता है कि ये खूबसूरती आपके लिए गंभीर खतरा बन सकती है? जी हां, कुछ महीने पहले हुए शोध से पता चला है कि हेयर स्ट्रेटनिंग में इस्तेमाल होने वाले केमिकल्स कैंसर का कारण बन सकते हैं. कुछ महीने पहले यूएस फूड एंड ड्रग्स एडमिनिस्ट्रेशन (FDA) ने हेयर स्मूथिंग और स्ट्रेटनिंग प्रोडक्ट में फॉर्मलाडेहाइड और अन्य फॉर्मलाडेहाइड रिलीजिंग केमिकल्स के उपयोग पर बैन लगाने का प्रस्ताव रखा है. भारत में भी डॉक्टरों ने इस कदम का समर्थन किया है.
दिल्ली स्टेट कैंसर इंस्टीट्यूट की एक क्लीनिकल ऑन्कोलॉजिस्ट डॉ. प्रज्ञा शुक्ला के अनुसार, फॉर्मलाडेहाइड एक कार्सिनोजन (कैंसर पैदा करने वाला पदार्थ) है. यह नासोफेरेंजियल और सिनोनासल कैंसर के साथ-साथ ल्यूकेमिया के बढ़ते खतरे से जुड़ा हुआ है. भारत में हेयर स्ट्रेटनिंग के लिए इस्तेमाल होने वाले केमिकल में फॉर्मलाडेहाइड का व्यापक रूप से इस्तेमाल होता है. ट्रीटमेंट के दौरान निकलने वाले धुएं को लोग सांस में लेते हैं, जिससे बार-बार इस्तेमाल पर कैंसर का खतरा बढ़ जाता है.
वहीं, आरएमएल अस्पताल के स्किन एक्सपर्ट डॉ. कबीर सरदाना के अनुसार, अध्ययनों से पता चला है कि ऐसे ट्रीटमेंट 15 साल से अधिक समय तक और साल में कम से कम पांच बार करवाने से गर्भाशय और स्तन कैंसर का खतरा बढ़ सकता है. हालांकि ये अकेले कैंसर का कारण नहीं बन सकते, लेकिन इन्हें आसानी से रोका जा सकता है, इसलिए इन ट्रीटमेंट से बचना ही समझदारी है.
बीएलके सुपर स्पेशलिटी अस्पताल के मेडिकल ऑन्कोलॉजी के वरिष्ठ निदेशक डॉ. सज्जन राजपुरोहित भी इस मुद्दे पर चिंता जताते हैं. वे कहते हैं कि शुरुआत में ये रसायन आंखों में जलन, नाक-गले में तकलीफ और सांस लेने में समस्या जैसी समस्याएं पैदा कर सकते हैं, लेकिन लंबे समय तक इस्तेमाल से स्तन और गर्भाशय के कैंसर का खतरा बढ़ जाता है. इन जोखिमों को कम करने के लिए सख्त नियमों की जरूरत है.
फॉर्मलाडेहाइड क्यों है खतरनाकफॉर्मलाडेहाइड एक बेहद जहरीला केमिकल है. इसे कैंसर पैदा करने वाला पदार्थ माना जाता है. यह न केवल सांस के माध्यम से बल्कि त्वचा के संपर्क में आने पर भी शरीर में प्रवेश कर सकता है.
EC releases draft electoral rolls in West Bengal post completion of SIR exercise phase one, 58 lakh voters deleted
The draft electoral rolls were prepared after a four-step process -distribution, submission, digitalisation and data analysis of enumeration…

