Angithi, room heater side effects: न्यूज एजेंसी एएनआई की एक हालिया रिपोर्ट में लखनऊ के केजीएमयू, लोहिया और सिविल अस्पताल के आंकड़ों का हवाला दिया गया है, जहां 50-60 प्रतिशत मरीज सांस की समस्या से पीड़ित हैं. इससे कुछ दिनों पहले कानपुर से एक और चौंकाने वाली खबर आई थी, जहां एक हफ्ते में 98 लोगों की हार्ट अटैक व स्ट्रोक से मौत होने की बात कही गई थी. जानकारों के मुताबिक इसका जिम्मेदार ये खराब मौसम है. सांस से जुड़ी समस्याओं के मामले में अचानक बढ़ोतरी का एक अन्य कारण यह है कि लोग इस कड़ाके की ठंड से बचने के लिए क्या-क्या तरीके अपना रहे हैं. आइए जानते हैं कि वो तरीके क्या हैं जो सांस से जुड़ी समस्याओं का कारण बन रहे हैं.
1. अंगीठीहमारे देश में ठंड के मौसम में अंगीठी का व्यापक रूप से इस्तेमाल किया जाता है. आधुनिक रूम हीटर का यह विकल्प सर्दियों के दौरान लगभग हर जगह देखा जाता है. लोग कड़ाके की ठंड में खुद को गर्म रखने के लिए आग की लपटों के पास बैठते हैं. अंगीठी के लिए कोयला ईंधन का एक प्रमुख सोर्स है. इसके अलावा कभी-कभी पेड़ की शाखाओं, टहनियों और कभी-कभी बेकार और पुराने कागजों के रूप में लकड़ी का भी उपयोग किया जाता है.
2. रूम हीटरजो लोग शहरों में रहते हैं वो अंगीठी की जगह रूम हीटर का इस्तेमाल करते हैं. सर्दियों के मौसम में छोटे और पोर्टेबल रूप हीटर की सेल में अचानक वृद्धि देखी जा सकती है. इसको यूज करना बेहद आसान है और इसके लिए कोई अतिरिक्त ईंधन की जरूरत नहीं पड़ती.
अंगीठी और रूम हीटर से हो सकता है जान का खतराबंद जगहों जैसे घर में अंगीठी और रूम हीटर का उपयोग करने से हवा में ऑक्सीजन की मात्रा कम हो जाती है और कार्बन मोनोऑक्साइड जैसी घातक गैसों की मात्रा बढ़ जाती है. ठंड के मौसम में लोग घर से बाहर नहीं निकलते और अंदर ही अंगीठी, हीटर और ब्लोअर का इस्तेमाल करते हैं जिससे ऑक्सीजन की कमी हो जाती है. जब अंगीठी को जलाया जाता है, तो कार्बन डाइऑक्साइड और कार्बन मोनोऑक्साइड जैसी खतरनाक गैसें हवा में आ जाती हैं. लंबे समय तक अंगीठी जलाने से वातावरण में ऑक्सीजन का प्रवाह कम हो जाता है और बंद जगह पर ऑक्सीजन का लेवल तेजी से गिर जाता है. इसलिए अंगीठी को छत या घर से बाहर जैसी खुली जगह पर जलाने की सलाह दी जाती है. अगर आप इसे अपने घर के अंदर जला रहे हैं तो खिड़की और मुख्य द्वार को खुला रखें.
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