तमिलनाडु के वानीयंबडी कस्बे में एक मामूली दांतों के इलाज ने ऐसा भयानक रूप ले लिया, जिसकी किसी को कल्पना भी नहीं थी. एक नॉर्मल सेलेन (saline) की बोतल से शुरू हुई लापरवाही ने अब तक 8 लोगों की जान ले ली और कई अन्य को एक खतरनाक ब्रेन इन्फेक्शन से जूझने के लिए छोड़ दिया है. यह संक्रमण एक दुर्लभ बैक्टीरिया बर्कहोल्डेरिया स्यूडोमेलाई के कारण फैला, जिसे न्यूरोमेलियोइडोसिस (neuromelioidosis) कहा जाता है.
2023 में वैज्ञानिकों की एक टीम ने इस रहस्यमयी ब्रेन इन्फेक्शन की जांच शुरू की, जब अचानक कुछ मरीजों में एक जैसे गंभीर न्यूरोलॉजिकल लक्षण दिखाई देने लगे, जैसे बोलने में दिक्कत, धुंधलाना दिखना, चेहरे की स्किन में लकवा, और कुछ ही दिनों में मौत. जांच में पता चला कि वानीयंबडी के एक डेंटल क्लिनिक में सेलेन की एक खुली बोतल को बार-बार इस्तेमाल किया गया था.
इस बोतल को खोलने के लिए जिस पेरियोस्टियल एलीवेटर नामक सर्जिकल उपकरण का उपयोग किया गया, वह आमतौर पर सर्जरी में टिशू हटाने के लिए प्रयोग होता है, ना कि बोतलें खोलने के लिए. इस लापरवाही का नतीजा बेहद खतरनाक साबित हुआ. कम से कम 10 लोग संक्रमित हुए, जिनमें से 8 की जान चली गई और ये मौतें अचानक नहीं हुईं, बल्कि पहले लक्षण के 16 दिनों के भीतर ही.
ब्रेन पर सीधा हमलाविशेषज्ञों के अनुसार, इस बैक्टीरिया के एक विशेष जीन bimABm ने इसे और भी खतरनाक बना दिया. यह जीन बैक्टीरिया को सीधे नर्वस सिस्टम के जरिए दिमाग तक पहुंचने में सक्षम बनाता है, जिससे यह आम संक्रमण की तरह खून के माध्यम से नहीं, बल्कि ब्रेनस्टेम तक सीधे पहुंच गया, जो हमारे शरीर की सबसे सेंसिटिव सिस्टम है.
सरकारी चुप्पी और बढ़ता डरसबसे चौंकाने वाली बात यह रही कि इतनी गंभीर घटना के बावजूद सरकार की ओर से कोई आधिकारिक जानकारी जारी नहीं की गई. यह मामला केवल द लैंसेट में प्रकाशित वैज्ञानिक शोध के जरिए दुनिया के सामने आया. इस चुप्पी ने हेल्थ सिस्टम की पारदर्शिता और जवाबदेही पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं.
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