Last Updated:July 28, 2025, 23:59 ISTRampur Latest News: सरकार ने महिलाओं के खिलाफ आपत्तिजनक सामग्री परोसने के आरोप में 25 ओटीटी ऐप्स को बैन किया, जिसमें Ullu और ALTBalaji शामिल हैं. रामपुर की महिलाओं ने इस फैसले का समर्थन किया है.हाइलाइट्ससरकार ने 25 ओटीटी ऐप्स को बैन किया.रामपुर की महिलाओं ने इस फैसले का समर्थन किया.महिलाओं ने अश्लीलता पर रोक लगाने की मांग की.रामपुर: भारत में डिजिटल आज़ादी के साथ कंटेंट का दायरा लगातार बढ़ रहा है. लेकिन कुछ समय से ओटीटी प्लेटफॉर्म्स पर दिखाए जा रहे कंटेंट को लेकर विवाद गहराता जा रहा था. इसी को ध्यान में रखते हुए सरकार ने हाल ही में 25 ओटीटी ऐप्स को देश में बैन कर दिया है. इन ऐप्स में Ullu और ALT जैसे चर्चित नाम भी शामिल हैं. सरकार ने इन पर महिलाओं के खिलाफ आपत्तिजनक और अश्लील सामग्री परोसने का आरोप लगाते हुए यह सख्त कदम उठाया है. इस फैसले पर देशभर में अलग-अलग तरह की प्रतिक्रियाएं देखने को मिल रही हैं. लेकिन उत्तर प्रदेश के रामपुर शहर की कई महिलाओं और लड़कियों ने इसे पूरी तरह सही ठहराया है.
रामपुर की महिलाओं ने किया समर्थनहमने इस विषय में रामपुर की कई महिलाओं और छात्राओं से बात की. उनका कहना है कि सरकार का यह फैसला बहुत ज़रूरी था. समाजसेवी सरिता विश्नोई ने कहा कि यह एक साहसिक और समय की मांग के अनुसार उठाया गया कदम है. आजकल ओटीटी प्लेटफॉर्म पर कंटेंट के नाम पर फालतू और भटकाने वाली चीज़ें दिखाई जा रही थीं. अच्छी और प्रेरणादायक सामग्री को नजरअंदाज़ किया जा रहा था. सरकार ने सही दिशा में कदम उठाया है जिससे समाज को गलत दिशा में जाने से रोका जा सकेगा.
परिवारों और बच्चों पर पड़ रहा था बुरा असर
रामपुर की कई गृहिणियों का भी यही मानना है कि इस तरह का कंटेंट पारिवारिक माहौल को खराब कर रहा था. विनीता नाम की एक गृहिणी ने कहा कि आज के समय में बच्चे भी मोबाइल से ओटीटी ऐप्स तक आसानी से पहुंच सकते हैं. ऐसे में उनके सामने इस तरह की अश्लील सामग्री आना उनके मानसिक विकास के लिए नुकसानदायक है. सरकार ने इन ऐप्स को बंद करके सही किया है. इससे समाज में फैलती अश्लीलता पर कुछ हद तक रोक लग सकेगी.
छात्राओं ने बताया डिजिटल ज़िम्मेदारी का संकेतराजकीय रज़ा स्नातकोत्तर महाविद्यालय की छात्राएं सिमरन गौतम और लवी सागर ने भी सरकार के इस फैसले का समर्थन किया है. उन्होंने कहा कि डिजिटल माध्यम आज के समय में बहुत प्रभावशाली हो गए हैं. अगर इनका सही इस्तेमाल नहीं हो तो समाज में ग़लत संदेश जाता है. सरकार का यह फैसला बताता है कि अब डिजिटल आज़ादी के नाम पर कुछ भी नहीं चलने वाला. इससे उन सभी प्लेटफॉर्म्स को एक चेतावनी मिलेगी जो बिना सेंसर के गलत कंटेंट दिखाते हैं.
महिलाओं की छवि को पहुंच रहा था नुकसान
बिना किसी सेंसर के ओटीटी प्लेटफॉर्म्स पर अत्यधिक बोल्ड और आपत्तिजनक दृश्य दिखाए जा रहे थे. इसका असर सीधे महिलाओं की छवि पर पड़ रहा था. ये दृश्य युवाओं के मानसिक स्वास्थ्य को भी प्रभावित कर रहे थे और समाज में एक विकृत सोच को जन्म दे रहे थे. ऐसे में यह फैसला सही समय पर लिया गया है.
भविष्य में भी सख्ती की ज़रूरतमहिलाओं का कहना है कि अगर आगे भी कोई ऐप या प्लेटफॉर्म इस तरह की सामग्री दिखाता है तो सरकार को उसी तरह तुरंत सख्त कार्रवाई करनी चाहिए. इससे सिर्फ अश्लीलता पर लगाम नहीं लगेगी, बल्कि डिजिटल दुनिया में जिम्मेदारी का भाव भी विकसित होगा. यह ज़रूरी है कि टेक्नोलॉजी का उपयोग समाज को जोड़ने और आगे बढ़ाने में हो, ना कि उसे गलत दिशा में मोड़ने में.
डिजिटल आज़ादी के दायरे की सीमाएं तय करना ज़रूरी
ओटीटी ऐसा माध्यम है जिसके ज़रिए मोबाइल और टीवी पर इंटरनेट से फिल्में और वेब सीरीज़ देखी जाती हैं. लेकिन जब इस आज़ादी का इस्तेमाल ग़लत कंटेंट परोसने में होने लगे, तो उसे रोकना ज़रूरी हो जाता है. सरकार के इस फैसले से यह साफ संदेश गया है कि अब डिजिटल स्वतंत्रता के नाम पर कुछ भी परोसना बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. रामपुर की महिलाओं का मानना है कि यह फैसला सही दिशा में उठाया गया कदम है और ऐसे ही ठोस फैसलों की आज देश को सबसे ज़्यादा ज़रूरत है.
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