अंजलि सिंह राजपूत/लखनऊ : अयोध्या में रामलला विराजमान हो चुके हैं. ऐसे में यह होली उनकी पहली होली होगी. इसीलिए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के साथ ही प्रदेश वासियों में खासा उत्साह है. इसी को ध्यान में रखते हुए लखनऊ के वैज्ञानिकों ने खास गुलाल तैयार किया है, जिसे प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को भेजा जा चुका है. उन्होंने इस रंग की काफी तारीफ की है. वैज्ञानिकों ने इस रंग को पूरी तरह से जांच करने के बाद ही उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री को दिया है ताकि रामलला की त्वचा को यह रंग किसी भी तरह से कोई नुकसान न पहुंच पाएं.

आपको बता दें कि अवधपुरी के भव्य-दिव्य-नव्य मंदिर में विराजमान रामलला कचनार के फूलों से बने गुलाल से होली खेलेंगे. सीएसआईआर-एनबीआरआई के वैज्ञानिकों ने कचनार के फूलों से बने गुलाल को खास तौर पर तैयार किया है. यही नहीं, वैज्ञानिकों ने गोरखपुर के गोरखनाथ मंदिर में चढ़ाए हुए फूलों से भी एक हर्बल गुलाल तैयार किया है. बुधवार को संस्थान के निदेशक ने दोनों खास गुलाल मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को भेंट किए.

परंपरा के संरक्षण के लिए ही ये रंग बनाए गएमुख्यमंत्री ने इस विशेष पहल के लिए संस्थान के प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि यह निश्चित रूप से उत्तर प्रदेश के साथ-साथ देश के कई स्टार्ट-अप और उद्यमियों के लिए अधिक अवसर और रोजगार प्रदान करेगा. निदेशक डॉ. अजित कुमार शासनी ने बताया कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा अयोध्या में रामायणकालीन वृक्षों का संरक्षण किया जा रहा है. विरासत को सम्मान और परंपरा के संरक्षण के लिए ही ये रंग बनाए गए हैं.

त्रेतायुग से है इन फूलों का संबंधइसी के तहत संस्थान की ओर से श्रीराम जन्मभूमि अयोध्या के लिए बौहिनिया प्रजाति जिसे आमतौर पर कचनार के नाम से जाना जाता है.इसके फूलों से हर्बल गुलाल बनाया गया है. कचनार को त्रेतायुग में अयोध्या का राज्य वृक्ष माना जाता था और यह आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति की औषधि के रूप में इस्तेमाल किया जाता रहा है. इसमें एंटी-इंफ्लेमेटरी, एंटी-बैक्टीरियल, एंटी-फंगल आदि गुण भी होते हैं. इसी तरह, गोरखनाथ मंदिर में चढ़ाए हुए फूलों से हर्बल गुलाल को तैयार किया गया है. इन हर्बल गुलाल का परीक्षण किया जा चुका है और यह मानव त्वचा के लिए पूरी तरह से सुरक्षित और पर्यावरण के अनुकूल हैं.

कैमिकल फ्री हैं रंगनिदेशक ने बताया कि कचनार के फूलों से हर्बल गुलाल लैवेंडर फ्लेवर में बनाया गया है, जबकि गोरखनाथ मंदिर के चढ़ाए हुए फूलों से हर्बल गुलाल चंदन फ्लेवर में विकसित किया गया है. इन हर्बल गुलाल में रंग चमकीले नहीं होते क्योंकि इनमें लेड, क्रोमियम और निकल जैसे केमिकल नहीं होते हैं. फूलों से निकाले गए रंगों को प्राकृतिक घटकों के साथ मिला कर पाउडर बनाया जाता है.इसे त्वचा से आसानी से पोंछ कर हटाया जा सकता है. गुलाल की बाजार में बेहतर उपलब्धता के लिए हर्बल गुलाल तकनीक को कई कंपनियों और स्टार्ट-अप्स को हस्तांतरित किया गया है.

इनमें खतरनाक रसायनवर्तमान में बाजार में उपलब्ध रासायनिक गुलाल के बारे में बात करते हुए डॉ. शासनी ने कहा कि ये वास्तव में जहरीले होते हैं. इनमें खतरनाक रसायन होते हैं जो त्वचा और आंखों में एलर्जी, जलन और गंभीर समस्या पैदा कर सकते हैं. उन्होंने आगे बताया कि हर्बल गुलाल की पहचान करने का सबसे अच्छा तरीका यह है कि यह अन्य गुलाल की तरह हाथों में जल्दी रंग नहीं छोड़ेगा. संस्थान द्वारा विकसित हर्बल गुलाल होली के अवसर पर बाजार में बिक रहे हानिकारक रासायनिक रंगों का एक सुरक्षित विकल्प है.
.Tags: CM Yogi Aditya Nath, Lucknow news, UP newsFIRST PUBLISHED : March 20, 2024, 22:08 IST



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