पद्मश्री सम्मानित शास्त्रीय गायक पं. छन्नूलाल मिश्र के निधन से संगीत जगत शोक में डूब गया है. कजरी, चैती, फगुआ जैसे गीतों में महारत रखने वाले पं. मिश्र ने अपने जीवन में संगीत को पूरी तरह समर्पित किया था. उनके जाने से शास्त्रीय संगीत के प्रेमियों और शिष्यों के लिए अपूरणीय क्षति हुई है. उनके व्यक्तित्व और संगीत की अमिट छाया सदैव याद रहेगी.
मिर्जापुर: भारतीय शास्त्रीय संगीत के धरोहर स्वरूप, पद्मश्री से सम्मानित पं. छन्नूलाल मिश्र का बीते गुरुवार को निधन हो गया है. कजरी, चैती, फगुआ और अन्य शास्त्रीय गीतों में अद्वितीय योगदान देने वाले पं. मिश्र ने भारतीय संगीत जगत में अमिट छाप छोड़ी है. उनका जाना सिर्फ एक कलाकार का नहीं बल्कि संगीत संस्कृति का एक बहुत बड़ा नुकसान है. उनके निधन पर मिर्जापुर के लोगों ने कहा कि वे महान व्यक्तित्व के धनी थे, जिन्होंने अपनी कला से हजारों शिष्यों को मार्गदर्शन दिया. उनका जाना अपूरणीय क्षति है और उनका संगीत सदैव जीवित रहेगा।
प्रो. रमेश चंद्र ओझा ने बताया कि पं. छन्नूलाल मिश्र एक विराट व्यक्तित्व के स्वामी थे. वे शास्त्रीय संगीत के गहन ज्ञाता थे और उन्हें पद्म भूषण समेत कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया था. उन्होंने जीवनभर संगीत को अपनी सेवा में समर्पित किया. उनका व्यक्तिगत स्नेह और मार्गदर्शन कई शिष्यों के लिए प्रेरणा स्रोत रहा. उन्होंने कला और संस्कृति को अपने जीवन का उच्चतम उद्देश्य बनाया. उनके जाने से संगीत जगत में एक शून्यता उत्पन्न हो गई है।
पं. मिश्र के शिष्य राजेश श्रीवास्तव ने बताया कि वे एक सरल, ज्ञानी और विनम्र व्यक्तित्व के धनी थे. वे चारों पटों के गहन जानकार थे और उनका संगीत आत्मा को स्पर्श करता था. पं. मिश्र हमेशा कहते थे कि संगीत एक महासागर है, जिसे पूरी तरह समझना असंभव है. उनका ज्ञान और साधना आज भी शिष्यों के लिए प्रेरणा बनी रहेगी. उनका जाना केवल एक कलाकार का नहीं, बल्कि संगीत प्रेमियों के लिए एक अपूरणीय क्षति है.