रामपुर में आज़म खां की वापसी की तैयारी शुरू, हाईकोर्ट से जमानत मिलने के बाद सियासत में हलचल
रामपुर की सियासत में एक नया दौर शुरू होने जा रहा है. इलाहाबाद हाईकोर्ट से मोहम्मद आज़म खां को जमानत मिलने के बाद रामपुर की जनता में हलचल मच गई है. सपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व कैबिनेट मंत्री आज़म खां लंबे समय से जेल में बंद थे, लेकिन अब उनकी रिहाई का रास्ता साफ हो गया है. रामपुर के लोग उनकी वापसी को राजनीति की मजबूती के रूप में देख रहे हैं.
रामपुर के निवासी महबूब अली कहते हैं कि हमें बहुत खुशी है कि आज़म खां जेल से बाहर आएंगे. उनके जेल चले जाने के बाद रामपुर की सियासत मानो खत्म हो गई थी. लेकिन अब उनके आने से सियासत में फिर से जान आ जाएगी. वहीं इरशाद का कहना है कि हम लगातार दुआ कर रहे थे कि आजम खां जेल से बाहर आएं. उनके ऊपर जितने भी मुकदमे लगाए गए हैं, सब झूठे हैं. अब उनके आने से सियासत में मजबूती आएगी.
धर्म कुमार का कहना है कि आज़म खां के जाने के बाद रामपुर यतीम हो गया था. अब सूरज की किरण दिख रही है. जब वे जेल से रिहा होकर आएंगे तो जनता के दुख-दर्द भी सुनेंगे. यानी जनता का एक बड़ा हिस्सा मानता है कि आज़म खां की वापसी से रामपुर की राजनीति में फिर से हलचल होगी और सियासत को नई दिशा मिलेगी.
दरअसल समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता मोहम्मद आज़म खां को इलाहाबाद हाईकोर्ट से बड़ी राहत मिली है. रामपुर के चर्चित क्वालिटी बार कब्ज़ा मामले में कोर्ट ने उनकी जमानत याचिका मंजूर कर ली है. जस्टिस समीर जैन की सिंगल बेंच ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद यह फैसला सुनाया. इससे पहले आज़म खां ने रामपुर के एमपी-एमएलए कोर्ट में जमानत के लिए अर्जी लगाई थी, लेकिन अदालत ने 17 मई 2025 को इसे खारिज कर दिया था. इसके बाद उन्होंने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया.
अभियोजन पक्ष ने आरोपों को गंभीर बताते हुए जमानत का विरोध किया, जबकि उनकी ओर से वकील इमरान उल्ला और मोहम्मद खालिद ने बहस की. अदालत ने 21 अगस्त को फैसला सुरक्षित रख लिया था और अब जमानत मंजूर कर दी.
21 नवंबर 2019 को गगन अरोड़ा नामक बार मालिक ने शिकायत दर्ज कराई थी कि रामपुर के सिविल लाइंस थाना क्षेत्र में हाईवे पर बने क्वालिटी बार पर जबरन कब्ज़ा करने की कोशिश की गई. तत्कालीन राजस्व निरीक्षक अनंगराज सिंह की तहरीर पर एफआईआर दर्ज हुई. इस केस में आज़म खां के अलावा उनकी पत्नी डॉ. तजीन फातिमा, बेटे और पूर्व विधायक अब्दुल्ला आज़म खां और तत्कालीन चेयरमैन सैयद जफर अली जाफरी को भी आरोपी बनाया गया था।
अब जबकि हाईकोर्ट से जमानत मिलने के बाद आज़म खां के जेल से बाहर आने का रास्ता साफ हो गया है, रामपुर की सियासत में नई हलचल होना तय है. जनता की राय साफ दिख रही है कि कई लोग आज़म खां को अब भी अपना सबसे बड़ा सहारा मानते हैं और उनकी वापसी को राजनीति की मजबूती से जोड़कर देख रहे हैं. हालांकि कानूनी मुश्किलें अभी भी खत्म नहीं हुई हैं और आगे की लड़ाई अदालत में ही होगी, लेकिन एक बात साफ है कि आज़म खां की रिहाई से रामपुर और पश्चिमी उत्तर प्रदेश की सियासत में नई चर्चा जरूर छिड़ चुकी है.