Public Opinion: जगह बदली, दुकानों पर चला बुलडोजर, फिर भी बलिया में लगता है जाम, आखिर क्या है स्थाई समाधान?

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दुकानों पर चला बुलडोजर, फिर भी बलिया में लगता है जाम, आखिर क्या है समाधान?

बलिया: बलिया शहर में सड़क जाम एक सबसे बड़ी समस्या है. खासकर बाजार इलाके में सुबह से लेकर देर शाम तक सड़कें मानो ठहर जाती हैं. इसका सबसे बड़ा कारण सड़कों के किनारे दुकानें लगाना है, जिनमें ज़्यादातर सब्जी विक्रेता होते हैं. हर दिन इनकी संख्या बढ़ती जा रही है. जिससे सड़कों की चौड़ाई घटती जा रही है और ट्रैफिक जाम हो जाता है.लेकिन क्या यह सिर्फ अतिक्रमण की समस्या है? नहीं. यह रोज़ी- रोटी से भी जुड़ा मुद्दा है. ये छोटे दुकानदार अपनी दो वक्त की रोटी के लिए ही दुकान लगाते हैं. हालांकि, नगर पालिका इन्हें अधिकतर मामलों में खुद ही जगह देती है, जिससे बाजार व्यवस्थित रहे. लेकिन जब यही नगर पालिका किसी विकास या सौंदर्यीकरण योजना के तहत इन दुकानों को हटाने की कोशिश करती है, तो विवाद खड़ा हो जाता है. कहीं धरना होता है, कहीं प्रदर्शन होता है. प्रशासन और दुकानदारों के बीच टकराव की स्थिति बन जाती है.

चित्तू पांडेय चौराहे के पास बसाई गई नई मंडीबलिया में ऐसी स्थिति कोई नई नहीं है. कई बार यह देखने को मिला है कि नगर पालिका जब सख्ती से दुकानों को हटाने की कोशिश करती है, तो भारी विरोध के कारण उसे पीछे हटना पड़ता है. उदाहरण के लिए, नपा के पूर्व चेयरमैन संजय उपाध्याय के कार्यकाल में गुदरी बाजार से सब्जी विक्रेताओं को हटाकर चित्तू पांडेय चौराहे के पास एक नई मंडी बसाई गई थी. वहां बैठने की व्यवस्था भी की गई, लेकिन कुछ समय बाद यहां से भी हटाने की बात आई, तो आंदोलन इतना तेज हुआ कि नगर पालिका को कदम पीछे खींचने पड़े.

खंडहर में तब्दील हो चुका है लोहिया मार्केट
इस जटिल समस्या पर स्थानीय लोगों की राय भी जाननी जरूरी है. कमलेश वर्मा, रजनीकांत सिंह, मंजय कुमार सिंह, केदारनाथ और संजय गुप्ता जैसे लोगों का कहना है कि बार-बार दुकानदारों को हटाकर दूसरी जगह बसाना कोई स्थायी हल नहीं है. उन्होंने सुझाव दिया कि बलिया के बीचोंबीच बना लोहिया मार्केट ही इस समस्या का स्थायी समाधान हो सकता है. करोड़ों रुपये खर्च कर करीब तीन दशक पहले यह मार्केट बनाया गया था, लेकिन देखरेख के अभाव में अब यह खंडहर में तब्दील हो चुका है.

इस मार्केट को करना होगा विकसितअगर प्रशासन इस लोहिया मार्केट को आधुनिक मॉल की तरह विकसित कर दे, तो एक ही छत के नीचे सब्जी, फल, किराना, कपड़े और अन्य जरूरी सामान की दुकानें हों जाएंगी. इससे न सिर्फ सड़कें खाली होंगी, बल्कि दुकानदारों को भी स्थायी स्थान मिलेगा. इससे शहर में ट्रैफिक भी सुधरेगा और विकास की रफ्तार भी तेज होगी.

शॉपिंग कॉम्प्लेक्स में बदला जाएगा राइस मंडी
फिलहाल बलिया में राइस मंडी और गुड़ मंडी को शॉपिंग कॉम्प्लेक्स में बदलने की योजना चल रही है, जो एक अच्छी पहल है. लेकिन जब तक वह बनकर तैयार नहीं होती, तब तक लोहिया मार्केट को सुधारकर वहां दुकानदारों को शिफ्ट किया जा सकता है. इस मार्केट में करीब 300 दुकानें हैं, जिन्हें ठीक करने की जरूरत है.

लोहिया मार्केट में हुआ है भ्रष्टाचारस्थानीय लोगों का आरोप है कि लोहिया मार्केट में भ्रष्टाचार भी हुआ है. ऐसे में अगर जांच की जाए तो दोषियों को सजा भी मिल सकती है. लेकिन सबसे ज़रूरी है कि प्रशासन इस पूरे मामले को एक रोज़गार और जीवनयापन के नज़रिए से देखे. सिर्फ अतिक्रमण हटाने से नहीं, बल्कि वैकल्पिक समाधान देने से ही शहर में संतुलन बन पाएगा.

बलिया की सड़कों को जाम से मुक्ति दिलाने के लिए प्रशासन को अब कड़े और सोच-समझकर लिए गए फैसले लेने होंगे, ताकि विकास और रोजगार दोनों साथ-साथ चलें.

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