सर्वेश श्रीवास्तव/अयोध्या: रक्षाबंधन का पर्व भाई-बहनों का पर्व है. इस दिन बहनें अपने भाई की दीर्घायु के लिए राखी बांधती हैं और भाई इसके बदले में बहन की रक्षा का वचन देते हैं. लेकिन, क्या आप जानते हैं रक्षाबंधन की शुरुआत कहां से हुई? और कैसे हुई? अगर पुराणों में वर्णित कथाओं की ओर ध्यान दें तो इस सवाल के जवाब में एक प्रचलित कहानी सामने आती है. कथा के अनुसार, रक्षाबंधन की शुरुआत एक पति-पत्नी से हुई है.

दरअसल, भविष्य पुराण के अनुसार, एक बार असुर और देवताओं में भयंकर युद्ध हो रहा था. उस दौरान देवताओं की सेना पर राक्षसों की सेना भारी पड़ रही थी, जिससे देवताओं की सेना राक्षसों की सेना से पराजित होने लगी. इसके बाद देवराज इंद्र की पत्नी यह दृश्य देखने के बाद घबराने लगी. काफी सोच विचार के बाद इंद्रदेव की पत्नी शची ने घोर तप किया. जिसके फल स्वरूप उन्हें एक रक्षा सूत्र की प्राप्ति हुई. शची ने यह रक्षा सूत्र इंद्र की कलाई पर बांधा, जिसके बाद देवताओं की शक्ति बढ़ी और राक्षस पराजित हुए.

रक्षाबंधन से जुड़ी हैं कई कहानियांअयोध्या के प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य पंडित कल्कि राम बताते हैं कि जब इंद्र की पत्नी शची ने इंद्र को रक्षा सूत्र बांधा था, उस दिन सावन की पूर्णिमा तिथि थी, इसलिए इस दिन से रक्षाबंधन की परंपरा शुरू हुई. इतना ही नहीं, रक्षाबंधन की परंपरा को लेकर धार्मिक ग्रंथों में कई कथाएं और भी प्रचलित हैं. इसमें महाभारत की कुछ घटनाओं को रक्षाबंधन से जोड़ा जाता है. जैसे जब भगवान श्रीकृष्ण ने अपने सुदर्शन चक्र से शिशुपाल का वध किया था, तब द्रोपदी ने साड़ी का आंचल फाड़ कर श्रीकृष्ण के हाथ में बंधा था. कहा जाता है तभी से रक्षाबंधन की शुरुआत हुई थी.

(NOTE: इस खबर में दी गई सभी जानकारियां और तथ्य मान्यताओं के आधार पर हैं. NEWS18 LOCAL किसी भी तथ्य की पुष्टि नहीं करता है.)
.Tags: Ayodhya News, Local18, Raksha bandhan, Religion 18FIRST PUBLISHED : August 27, 2023, 22:03 IST



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