Priyangu Ka Paudha Droopy leaf Callicarpa macrophylla Ayurveda Skin Stomach Digestion | पेट से लेकर स्किन की प्रॉब्लम हो सकती है दूर, बस इस आयुर्वेदिक पौधे से कर लें दोस्ती

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Priyangu Ka Paudha Droopy leaf Callicarpa macrophylla Ayurveda Skin Stomach Digestion | पेट से लेकर स्किन की प्रॉब्लम हो सकती है दूर, बस इस आयुर्वेदिक पौधे से कर लें दोस्ती



Priyangu Ke Fayde:आयुर्वेद की दुनिया में कई हर्ब्स अपनी मेडिसिनल प्रॉपर्टीज के लिए मशहूर है. इनमें प्रियंगु का नाम भी खास तौर से लिया जाता है.  इसे हिन्दी में ‘बिरमोली’ या ‘धयिया’ कहा जाता है और ये न्यूट्रिशनल वैल्यू से भरपूर होता है. प्रियंगु में मौजूद औषधीय गुणों के कारण इसे विशेष रूप से पेट और त्वचा से जुड़ी समस्याओं के इलाज में इस्तेमाल किया जाता है.
प्राचीन ग्रंथों में प्रियंगुप्रियंगु का जिक्र आयुर्वेद के प्राचीन ग्रंथों जैसे चरक संहिता, सुश्रुत संहिता, भावप्रकाश, धन्वंतरी निघण्टु आदि में देखने को मिलता है. इन ग्रंथों में प्रियंगु को अलग-अलग कल्पों जैसे पेस्ट, काढ़ा, तेल, घी और आसव के रूप में दिखाया गया है. वाग्भट्ट और सुश्रुत के ग्रंथों में भी इसे कई बीमारियों के इलाज में शामिल किया गया है.
पहाड़ी इलाकों में पैदावारप्रियंगु पौधा भारत के ज्यादातर इलाकों, खासकर तकरीबन 1800 मीटर की ऊंचाई तक के पहाड़ी इलाकों में पाया जाता है. ये मल्टीपर्पस हर्ब न सिर्फ ट्रेडिशनल मेडिसिन में अपनी जगह रखती है बल्कि मॉर्डर्न साइंस भी इसके औषधीय गुणों की गवाही देता है.
हर भाषा में अलग-अलग नाममौजूदा दौर में प्रियंगु की चर्चा तीन प्रमुख वनस्पतियों- कैलिकार्पा मैक्रोफिला वाहल, एग्लैया रॉक्सबर्गियाना मिक और प्रूनस महालेब लिन के रूप में की जाती है. इसका वैज्ञानिक नाम कैलिकारपा मैक्रोफिला (Callicarpa macrophylla) है. अंग्रेज़ी में इसे सुगंधित चेरी या ब्यूटी बेरी कहा जाता है. भारत की अलग-अलग भाषाओं में इसे अलग-अलग नामों से जाना जाता है. संस्कृत में इसे वनिता, प्रियंगु, लता, शुभा, सुमङ्गा के नाम से जाना जाता है. हिन्दी में बिरमोली, धयिया के नाम से, बंगाली में मथारा के नाम से, मराठी में गहुला के नाम से, तमिल में नललु के नाम से, मलयालम में चिमपोपिल के नाम से, गुजराती में घंऊला के नाम से और नेपाली में इसे दयालो के नाम से जाना जाता है.
कैसा है टेस्ट?प्रियंगु का स्वाद तीखा, कड़वा और मधुर होता है. ये स्वभाव से शीतल, लघु और रूखा होता है और वात-पित्त दोषों को संतुलित करने वाला होता है. ये त्वचा की रंगत निखारने, घाव को भरने, उल्टी, जलन, पित्तजन्य बुखार, रक्तदोष, रक्तातिसार, खुजली, मुंहासे, विष और प्यास जैसी समस्याओं में फायदेमंद होता है. इसके बीज और जड़ पेट की मेकेनिज्म को स्टिमुलेट करने में मदद करते हैं और यूरिन से जुड़े डिसऑर्डर में फायदेमंद साबित होते हैं.
कैसे करें इस्तेमाल?दांतों की बीमारियों के इलाज में भी प्रियंगु का इस्तेमाल काफी अच्छा होता है. प्रियंगु, त्रिफला और नागरमोथा को मिलाकर तैयार किए गए पाउडर को दांतों पर रगड़ने से शीताद (मसूड़ों से जुड़ी बीमारी) में राहत मिलती है. खान-पान में असंतुलन के कारण होने वाले खून के दस्त और पित्तातिसार में शल्लकी, तिनिश, सेमल, प्लक्ष छाल तथा प्रियंगु के चूर्ण को मधु और दूध के साथ सेवन करने से फायदा होता है. इसके अलावा प्रियंगु के फूल और फल का चूर्ण अजीर्ण, दस्त, पेट दर्द और पेचिश में भी कारगर होता है.
यूरिन की दिक्कतों में भी असरदारयूटीआई की दिक्कतों का सामना कर रहे लोगों को प्रियंगु के पत्तों को पानी में भिगोकर उसका अर्क पीने से फायदा मिलता है. मुश्किल डिलिवरी को भी प्रियंगु आसान बना देता है. प्रियंगु की जड़ का पेस्ट नाभि के नीचे लगाने से प्रसव में कॉम्पलिकेशन कम होती है. आमवात या गठिया में इसके पत्ते, छाल, फूल और फल का लेप दर्द से राहत दिलाता है. प्रियंगु कुष्ठ रोग और हर्पिज जैसे चर्म रोगों में भी लाभकारी है.
इसके पाउडर को करें यूजइसके अलावा, कान और नाक से ब्लीडिंग होने की स्थिति में लाल कमल, नील कमल का केसर, पृश्निपर्णी और फूलप्रियंगु से तैयार किए गए जल का सेवन फायदेमंद होता है.  प्रियंगु, सौवीराञ्जन और नागरमोथा के चूर्ण को मधु के साथ मिलाकर बच्चों को देने से उल्टी, पिपासा और अतिसार में लाभ होता है। यह विषनाशक गुणों से युक्त होता है, इसलिए कीटदंश या विषाक्तता के असर को कम करने में भी प्रियंगु काफी असरदार है.
प्रियंगु का हर हिस्सा फायदेमंदआयुर्वेद के मुताबिक प्रियंगु के पत्ते, फूल, फल और जड़ सबसे अधिक औषधीय गुणों से भरे होते हैं. किसी भी बीमारी के हालत में इसका इस्तेमाल करने से पहले आयुर्वेदिक डॉक्टर की सलाह जरूर लेनी चाहिए. आमतौर पर मेडिकल एडवाइस के मुताबिक इसका 1-2 ग्राम पाउडर का सेवन किया जा सकता है.
(इनपुट-आईएएनएस)

Disclaimer: प्रिय पाठक, हमारी यह खबर पढ़ने के लिए शुक्रिया. यह खबर आपको केवल जागरूक करने के मकसद से लिखी गई है. हमने इसको लिखने में घरेलू नुस्खों और सामान्य जानकारियों की मदद ली है. आप कहीं भी कुछ भी अपनी सेहत से जुड़ा पढ़ें तो उसे अपनाने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें.



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