दुनिया में वर्ष 2020 में समय से पहले जन्म लेने वाले कुल बच्चों में से 20 फीसदी यानी 30.2 लाख भारत में हुए. देश में गर्भावस्था के माह का गलत अनुमान और गर्भवती महिला का खराब स्वास्थ्य रिकॉर्ड रखना इसकी वजह है. द लांसेट में प्रकाशित अध्ययन में ये जानकारी सामने आई है.
अध्ययन के मुताबिक, वर्ष 2020 में दुनिया में 1.34 करोड़ बच्चे समय पूर्व पैदा हुए. इस लिस्ट में भारत के बाद पाकिस्तान, नाइजीरिया, चीन, इथियोपिया, बांग्लादेश, कांगो और अमेरिका शामिल है. वहीं, वैश्विक स्तर पर वर्ष 2010 और 2020 के बीच समय पूर्व जन्म लेने वाले बच्चों की दर में बदलाव नहीं हुआ है. 10 वर्षों में जन्मे कुल बच्चों में से 15 फीसदी समय से पहले पैदा हुए थे. भारत में भी ऐसे बच्चों की संख्या में कमी नहीं आई. वर्ष 2010 में 34.9 लाख जबकि वर्ष 2020 में यह संख्या 30.2 लाख पाई गई है.यह है वजहविशेषज्ञों का मानना है कि धूम्रपान, शराब का सेवन, संक्रमण, दिल की बीमारी और डायबिटीज समय से पहले जन्म का कारण बनते हैं. कुछ चिकित्सा कारण भी इसमें शामिल हैं, जैसे संक्रमण, गर्भावस्था की अन्य जटिलताएं, जिसकी वजह से सीजेरियन तरीके से बच्चे का जन्म जरूरी हो जाता है.
5 साल तक ज्यादा खतरावैश्विक स्तर पर पांच साल से कम उम्र के बच्चों की मौत की वजहों में समय से पहले पैदा होना प्रमुख कारण है. अध्ययन में कहा गया है कि ऐसे बच्चों में हृदय रोग, निमोनिया और डायरिया का खतरा अधिक रहता है. हालांकि, समय से पहले जन्म के कारण होने वाली मौतों में क्षेत्रीय रूप से भिन्नता है. कम आय वाले देशों में समय से पहले पैदा होने वाले 90 फीसदी से ज्यादा बच्चे बच नहीं पाते. भारत में भी स्थिति बहुत संतोषजनक नहीं है.
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