Last Updated:November 16, 2025, 07:16 ISTAllahabad High Court News: इलाहाबाद हाई कोर्ट ने एक लिव-इन कपल को सुरक्षा देने से इनकार कर दिया है. कोर्ट ने कहा कि हिंदू विवाह अधिनियम के तहत शादीशुदा महिला अपने विवाह के रहते किसी अन्य संबंध के लिए अदालत से सुरक्षा नहीं मांग सकती.इलाहाबाद हाई कोर्ट. ( फाइल फोटो)इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण आदेश में स्पष्ट किया है कि एक विवाहित महिला, अपने विवाह को खत्म किए बिना, किसी दूसरे पुरुष के साथ लिव-इन रिलेशनशिप में रहने के लिए अदालत से सुरक्षा नहीं मांग सकती. यह फैसला उस याचिका पर आया जिसमें एक महिला और उसका लिव-इन पार्टनर पुलिस व पति के हस्तक्षेप से सुरक्षा चाहते थे.
याचिकाकर्ताओं ने अदालत से मैंडमस जारी करने की मांग की थी, ताकि पुलिस और महिला के पति को उनके “शांतिपूर्ण जीवन” में दखल देने से रोका जा सके. मैंडमस एक ऐसा आदेश है जिसे अदालत किसी निचली संस्था या अधिकारी को उसके कानूनी कर्तव्य का पालन कराने के लिए जारी करती है. हालांकि उत्तर प्रदेश सरकार के वकील ने कोर्ट में कहा कि महिला अभी भी हिंदू विवाह अधिनियम के अंतर्गत शादीशुदा है और उसने अब तक तलाक नहीं लिया है, इसलिए उसकी यह याचिका स्वीकार नहीं की जा सकती.जस्टिस विवेक कुमार सिंह ने अपने फैसले में स्पष्ट कहा कि अधिकारों की स्वतंत्रता पूर्ण नहीं होती, और जहाँ एक व्यक्ति के अधिकार शुरू होते हैं, वहीं दूसरे के अधिकारों की सीमा तय हो जाती है. कोर्ट ने कहा कि शादीशुदा होने के नाते पति-पत्नी दोनों का एक-दूसरे के साथ रहने का वैधानिक अधिकार है और इस अधिकार को किसी तीसरे व्यक्ति के कारण समाप्त नहीं किया जा सकता.
कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि पति या पत्नी का अपने जीवनसाथी के साथ रहने का अधिकार कानून द्वारा संरक्षित है. किसी एक व्यक्ति की व्यक्तिगत स्वतंत्रता दूसरे के वैधानिक अधिकारों का उल्लंघन नहीं कर सकती. अदालत ऐसे अवैध संबंधों को संरक्षण देने का काम नहीं कर सकती.7 नवंबर को जारी आदेश में यह भी कहा गया कि लिव-इन संबंध के लिए सुरक्षा देना “अवैध संबंधों को अप्रत्यक्ष रूप से स्वीकृति” देने जैसा होगा, जो कि कानून की मंशा के खिलाफ है. अदालत ने यह भी जोड़ा कि मैैंडमस किसी वैधानिक या दंडात्मक प्रावधान को निष्प्रभावी करने के लिए जारी नहीं किया जा सकता.
अंत में हाई कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं की याचिका खारिज करते हुए कहा कि महिला पहले अपने पति से औपचारिक तलाक या अलगाव प्राप्त करे, तभी वह किसी वैकल्पिक संबंध के लिए कानूनी राहत मांगने का अधिकार रखती है.Lalit Bhattपिछले एक दशक से अधिक समय से पत्रकारिता के क्षेत्र में सक्रिय हूं. 2010 से अपने पत्रकारिता करियर की शुरुआत की, जिसके बाद यह सफर निरंतर आगे बढ़ता गया. प्रिंट, टीवी और डिजिटल-तीनों ही माध्यमों में रिपोर्टिंग से ल…और पढ़ेंपिछले एक दशक से अधिक समय से पत्रकारिता के क्षेत्र में सक्रिय हूं. 2010 से अपने पत्रकारिता करियर की शुरुआत की, जिसके बाद यह सफर निरंतर आगे बढ़ता गया. प्रिंट, टीवी और डिजिटल-तीनों ही माध्यमों में रिपोर्टिंग से ल… और पढ़ेंन्यूज़18 को गूगल पर अपने पसंदीदा समाचार स्रोत के रूप में जोड़ने के लिए यहां क्लिक करें।Location :Prayagraj,Prayagraj,Uttar PradeshFirst Published :November 16, 2025, 07:15 ISThomeuttar-pradeshशादीशुदा महिला को लिव-इन संबंध में नहीं मिलेगी सुरक्षा, जानें मामला

