चौलाई का साग पोषक तत्वों का पावरहाउस है, जो शरीर के लिए बहुत ही फायदेमंद होता है. यह साग अक्टूबर और नवंबर के महीने में उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी जिले में पाया जाता है, जहां किसान बड़े पैमाने पर इसकी खेती करते हैं और बाजारों में इसकी अधिक डिमांड रहती है. चौलाई के साग में पौष्टिक तत्त्व पाए जाते हैं जो हमारे शरीर के लिए बहुत ही फायदेमंद होते हैं, जैसे कि विटामिन ए, विटामिन बी, विटामिन सी, प्रोटीन, फाइबर, कार्बोहाइड्रेट, आयरन और कैल्शियम.
चौलाई हरी और लाल रंग में बाजार में मिलती है, लेकिन हरी चौलाई के मुकाबले लाल चौलाई में ज्यादा पोषक तत्व पाए जाते हैं. बाजारों में इसकी काफी डिमांड होती है और ₹30 से लेकर ₹40 प्रति किलो के हिसाब से यह साग बिकता है. चौलाई में विटामिन ए, विटामिन बी, विटामिन सी, प्रोटीन, फाइबर, कार्बोहाइड्रेट, आयरन और कैल्शियम जैसे पोषक तत्व प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं, जो शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाते हैं और संक्रमण से बचाते हैं.
चौलाई का साग खाने से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है और यह संक्रमण से भी बचाता है. सर्दियों के मौसम में लोग चौलाई के साग की पकौड़ी भी काफी पसंद करते हैं, जिसे अरई-कीरई, पिगवीड जैसे नामों से भी जाना जाता है. चौलाई साग में सबसे ज्यादा फाइबर होता है, इसलिए यह पेट संबंधी समस्याओं से छुटकारा दिलाता है. चौलाई में आयरन बहुत होता है, इस कारण यह शरीर में खून को बहुत बढ़ा देता है और हड्डियों की मजबूती के लिए जरूरी होता है, जो हड्डियों की ऑस्टियोपोरोसिस जैसी समस्याओं को भी रोकने में मददगार है.