Way to get higher price than MSP. किसानों को एमएसपी से डेढ़ गुना ज्‍यादा कीमत मिल सकती है. सुनकर बड़ा ही अजीब लग रहा है. जब सरकार ने एमएसपी तय कर रखी है तो ज्‍यादा कैसे मिल सकता है. अगर यह कहा जाए कि इसमें स्‍वयं इंडियन एग्रीकल्‍चर रिसर्च इंस्‍टीट्यूट (आईएआरआई-पूसा) किसानों की मदद कर रहा है तो और भी ताज्‍जुब होगा, लेकिन यह सच है. तमाम किसान पूसा की मदद से एमएसपी से फसल का डेढ़ गुना या इससे भी अधिक कीमत वसूल रहे हैं. आइए जानें तरीका-

भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के प्रधान वैज्ञानिक और बीज उत्‍पादन इकाई के प्रभारी डा. ज्ञानेंद्र सिंह बताते हैं कि आईएआरआई किसानों की पैदावार और आय बढ़ाने में मदद कर रहा है. यह प्रयास इसी कड़ी में ही किया गया है. उन्‍होंने बताया कि आईएआरआई के पास इतनी जमीन नहीं है कि वो तमाम किसानों को उच्‍च गुणवत्‍ता वाले बीज मुहैया करा पैदावार बढ़वा सके. इसके लिए वो किसानों के खेतों में बीज तैयार करा रहा है. आईएआरआई का यह प्रयास किसानों की आय और पैदावार दोनों को बढ़ाने में मददगार हो रहा है. शोधों से स्‍पष्‍ट हो चुका है कि उन्‍नत किस्‍म के बीजों 30 से 40 फीसदी तक पैदावार बढ़ाई जा सकती है.

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ये है प्रकियाडा. ज्ञानेंद्र सिंह बताते हैं सबसे पहले वैज्ञानिक यह देखते हैं कि किस फसल की कौन सी प्रजाति अच्‍छी है और उसके बीज के लिए कौन-कौन से इलाके सबसे अच्‍छे रहेंगे. जहां पर सबसे उच्‍च गुणत्‍ता का बीज पैदा करा सकते हैं. वैज्ञानिक इस पर रिसर्च करते हैं. इसके बाद वहां के किसानों से संपर्क करते हैं. इसमें किसानों के चयन के कई आधार होते हैं. बीज तैयार करने में लागत किसान ही लगाता है, लेकिन गाइड आईएआरआई के वैज्ञानिक करते हैं. इस प्रक्रिया में आईएआरआई केन्‍द्र के 100-120 किमी. के दायरे में रहने वाले किसानों का चयन किया जाता है, जिससे उन्‍हें बीज तैयार होने के बाद केन्‍द्र में पहुंचाने में ज्‍यादा खर्च न करना पड़े. कई किसान मिलकर भी बीज उत्‍पादन में शामिल हो सकते हैं जिससे उन्‍हें बीज पहुंचाने में भाड़ा कम लगेगा.

इस तरह होता है भुगतानफसल तैयार होने के बाद किसान आईएआरआई केन्‍द्र में ले जाता है. किसान को तत्‍काल एमएसपी के अनुसार भुगतान किया जाता है. इसके बाद वैज्ञानिक उसकी जांच करते हैं. जिसमें औसतन 8 फीसदी माल गुणवत्‍ता के अनुरूप नहीं निकलता है. इसके लिए किसान और खरीदार को केन्‍द्र( में बुलाया जाता है, जो इस माल को बेचता है. चूंकि आईएआरआई इसे बीज के रूप में तैयार कराता है. इस वजह से फसल और बीज कीमत में एमएसपी के अनुसार करीब डेढ़ गुना या इससे भी अधिक का फर्क होता है. आईएआरआई किसान को अंतर में आए रुपये का भुगतान करता है. इस तरह किसान को डेढ़ गुना से अधिक लगात मिल जाती है.

किसान घर बैठे ले सकते हैं जानकारीकिसान पूसा दिल्‍ली के बीज उत्‍पादन से सीधा 011 25842686 से संपर्क कर सकते हैं. इसके अलावा देशभर के किसान विज्ञान केन्‍द्र (केवीके) और एग्रीकल्‍चर टेक्‍नीकल इनफार्मेशन केन्‍द्र (एटीके) से संपर्क कर इसकी जानकारी ले सकते हैं.

दिल्‍ली, यूपी समेत इन राज्‍यों के किसान यहां संपर्क करेंदिल्‍ली के आसपास के शहरों में रहने वाले भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) दिल्‍ली में बीज इकाई में जाकर सीधा संपर्क कर सकते हैं. इसके अलावा उत्‍तर प्रदेश में इज्‍जतनगर, लखनऊ, झांसी, कानपुर, वाराणसी, मेरठ, मोदीपुरम और मऊ, मध्‍य प्रदेश में भोपाल, हरियाण में करनाल और हिसार, राजस्‍थान में जोधपुर और बीकानेर, बिहार में पटना छत्‍तीसढ़ में रायपुर, झारखंड में रांची, उत्‍तराखंड में देहरादून और अल्‍मोड़ा के आईसीएआर में जाकर इसकी जानकारी ले सकते हैं.

अन्‍य राज्‍यों के लोग ऐसे करें संपर्कदेशभर के किसान फार्मर व्‍हाट्सअप हेल्‍पलाइन 9560297502, पूसा हेल्‍पलाइन 011-25841670 / 25841039, 25842686 और पूसा एग्रीकॉम 1800-11-8989 टोल फ्री नंबर पर संपर्क कर सकते है. ऑनलाइन सवाल https://www.iari.res.in/bms/faq/index.php पर भेज सकते हैं.
.Tags: Agriculture, Agriculture Market, Agriculture producers, FarmerFIRST PUBLISHED : January 15, 2024, 10:50 IST



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