झांसी. ‘चमक उठी सन सत्तावन में वह तलवार पुरानी थी, खूब लड़ी मर्दानी वह तो झांसी वाली रानी थी.’ सुभद्रा कुमारी चौहान की ये पंक्तियां झांसी की महारानी लक्ष्मीबाई (Maharani Laxmibai) की वीरता की बानगी भर हैं. महज 28 वर्ष की आयु में ही अंग्रेजों के खिलाफ मैदान-ए-जंग में कूद पड़ीं महारानी लक्ष्मीबाई 1857 की क्रांति के दौरान वीरता का सबसे सशक्त हस्ताक्षर हैं. उनके सामने अंग्रेजी फौज खौफ खाने लगी थी, लेकिन जिस तलवार से झांसी की महारानी लक्ष्मीबाई ने हजारों फिरंगियों का खून बहाया, वह एक बार फिर सुर्खियों में है. 19 नवंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी महारानी लक्ष्मीबाई के जन्मदिन पर उनकी वीरता की निशानी के रूप में मौजूद झांसी के किले पर होंगे. नरेंद्र मोदी के झांसी आने की प्रशासनिक तैयारियां तेजी से चल रही हैं और इसी बीच रानी की तलवार की चर्चा भी तेजी से जोर पकड़ रही है.
दरअसल, महारानी लक्ष्मीबाई की तलवार ग्वालियर स्थित संग्रहालय में रखी हुई है. इस तलवार को झांसी लाए जाने की मांग पिछले कई सालों से चल रही है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आगमन से पहले रानी की तलवार को झांसी लाए जाने को लेकर एक बार फिर चर्चा शुरू हो गई है. झांसी सदर सीट से बीजेपी विधायक रवि शर्मा ने इसको लेकर प्रधानमंत्री को एक पत्र भी लिखा है. विधायक रवि शर्मा का कहना है कि रानी लक्ष्मीबाई का जन्म वाराणसी में हुआ था. मनुबाई रानी बनकर झांसी आ गईं थीं. यह संयोग है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वाराणसी के ही सांसद हैं. इसलिए हमने प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर झांसी की महारानी की तलवार और उनसे जुड़ी स्मृतियां भी यहां लेकर आएं.
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बीजेपी विधायक रवि शर्मा ने पत्र में तलवार के साथ कटार, गुप्ती, खांडा का जिक्र करते हुए लिखा है कि ये सब ग्वालियर के संग्रहालय में रखे हुए हैं. सिर्फ झांसी के ही लोग ही नहीं बल्कि झांसी आने वाले सम्पूर्ण विश्व के लोग उन स्मृतियों को देखना चाहते हैं. लोगों की जनभावना के मुताबिक यह सब स्मृतियां झांसी के संग्रहालय में रखी जाएं.
रानी से जुड़े कई दस्तावेज ग्वालियर और कोलकाता संग्रहालय में
झांसी के समाजसेवी भानु सहाय की मानें तो रानी की तलवार को वापस झांसी लाने के लिए लंबे समय तक आंदोलन चलाए गए. इसका फायदा नहीं मिला. ग्वालियर में ही युद्ध के दौरान महारानी बलिदान हुई थीं. उसके बाद उनकी तलवार व युद्ध से जुड़ी कई और हथियार ग्वालियर के संग्रहालय में रखे हुए हैं. कई रानी झांसी के हथियार और पत्र पश्चिम बंगाल के कोलकाता संग्रहालय में भी होने की जानकारी है. भानु कहते हैं कि झांसी के लोग अपने इतिहास के उस दस्तावेज को अपने करीब ही सहेजकर रखना चाहते हैं. यदि 19 नवम्बर को प्रधानमंत्री तलवार व रानी से जुड़ी अन्य यादें साथ लेकर झांसी आते हैं तो ये झांसी के लिए ऐतिहासिक सौगात होगी.पढ़ें Hindi News ऑनलाइन और देखें Live TV News18 हिंदी की वेबसाइट पर. जानिए देश-विदेश और अपने प्रदेश, बॉलीवुड, खेल जगत, बिज़नेस से जुड़ी News in Hindi.
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