मानसून का मौसम हर किसी के लिए ताजगी और सुकून लेकर आता है, लेकिन जब बात इन-विट्रो फर्टिलाइजेशन (IVF) जैसी सेंसिटिव प्रक्रिया की हो, तो यह मौसम कई प्रकार की सावधानियां भी मांगता है. एक्सपर्ट की मानें तो बारिश के मौसम में IVF कराना पूरी तरह असुरक्षित नहीं है, लेकिन इसके लिए ज्यादा सतर्कता जरूरी है.
आईवीएफ एक्सपर्ट डॉ. पुनीत राणा अरोड़ा बताते हैं कि मानसून में वातावरण में नमी ज्यादा होती है, जिससे बैक्टीरिया और फंगल संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है. IVF के दौरान महिलाओं की इम्यूनिटी थोड़ी कम हो जाती है, जिससे इंफेक्शन जल्दी पकड़ सकते हैं. ऐसे में साफ-सफाई और पर्सनल हाइजीन का ध्यान रखना बेहद जरूरी हो जाता है.
डॉ. पुनीत कहते हैं कि इस मौसम में कोई भी संक्रमण आपकी IVF साइकिल में रुकावट पैदा कर सकता है. इसलिए अपने शरीर को संक्रमण से बचाने के लिए डॉक्टर द्वारा बताई गई गाइडलाइंस का पालन करें और एंटीसेप्टिक उपायों को अपनी दिनचर्या में शामिल करें. इसके अलावा, मौसम में बार-बार होने वाले बदलाव हार्मोनल बैलेंस को भी प्रभावित कर सकते हैं. IVF प्रक्रिया में हार्मोनल इंजेक्शन और नियमित मॉनिटरिंग की आवश्यकता होती है. अगर इस दौरान सर्दी-जुकाम या वायरल बुखार हो गया तो आपकी प्रक्रिया टल सकती है या बीच में रुक सकती है.
अन्य बड़ी चुनौतीबारिश के कारण सड़कें जलमग्न हो जाना, ट्रैफिक जाम और अस्पताल तक समय पर न पहुंच पाना एक और चुनौती बन सकती है. IVF की कुछ प्रक्रियाएं समय के अनुसार तय होती हैं, जैसे अंडाणु निकालने की प्रक्रिया (egg retrieval) या भ्रूण ट्रांसफर. इसलिए इस मौसम में क्लिनिक के पास ठहरने का ऑप्शन अच्छा माना जाता है. डॉ. पुनीत कहते हैं कि मानसून में IVF कराना जोखिम भरा नहीं है, लेकिन इसे सफलतापूर्वक पूरा करने के लिए पहले से तैयारी करनी चाहिए. अच्छी इम्युनिटी, संतुलित डाइट और आराम की आदतें इस दौरान बेहद मददगार होती हैं.
Disclaimer: प्रिय पाठक, हमारी यह खबर पढ़ने के लिए शुक्रिया. यह खबर आपको केवल जागरूक करने के मकसद से लिखी गई है. हमने इसको लिखने में सामान्य जानकारियों की मदद ली है. आप कहीं भी कुछ भी अपनी सेहत से जुड़ा पढ़ें तो उसे अपनाने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें.