पिता और भाई को एक हादसे में खो देने के बाद भी जया शर्मा ने अपने दुख को ताकत में बदल दिया. उन्होंने जरूरतमंदों की सेवा को अपनी जिंदगी का मकसद बना लिया और टीबी से पीड़ित बच्चों को गोद लेकर उनकी देखभाल शुरू की. आज उनकी संस्था ऐसे कई बच्चों के लिए उम्मीद और जीवन का सहारा बनी हुई है.