सृजित अवस्थी/पीलीभीत: उत्तर प्रदेश के पीलीभीत शहर में स्थित जामा मस्जिद हूबहू दिल्ली की जामा मस्जिद की तर्ज पर बनायी गई है. इसका इतिहास 250 साल से भी अधिक पुराना है. वहीं पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग ने इसे संरक्षित इमारतों की सूची में 261वें स्थान पर शामिल किया है, लेकिन विभाग की ओर से यहां एक साइन बोर्ड तक नहीं लगाया गया है.आपको बता दें कि पीलीभीत शहर में देवहा नदी के नजदीक स्थित जामा मस्जिद को रोहिल्ला सरदार हाफ़िज रहमत खान ने बनवाया था. मस्जिद में उपलब्ध जानकारी के अनुसार इसका निर्माण सन 1767 में कराया गया था. ऐसे में यह पीलीभीत के साथ ही साथ रोहिलखंड की महत्वपूर्ण धरोहरों में से एक है. यही कारण है कि पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग ने इसे संरक्षित इमारतों की सूची में शामिल किया है, लेकिन पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग की ओर से धरातल पर कुछ भी काम नहीं कराया गया. संरक्षण तो दूर की बात विभाग की ओर से यहांं संरक्षित इमारत होने का साइनबोर्ड तक नहीं लगाया गया है.पीएम मोदी की अपील पर किया अमलपीलीभीत के सामाजिक कार्यकर्ता शिवम कश्यप ने News 18 Local से बातचीत के दौरान बताया कि हाल ही में पीएम नरेंद्र मोदी ने एक कार्यक्रम के दौरान लोगों से अपनी धरोहरों के लिए जागरूक होने की अपील की थी. जिसके बाद उन्होंने जामा मस्जिद पर पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग की ओर से साइन बोर्ड और जिले की NIC वेबसाइट पर भी संरक्षित इमारत होने की जानकारी शामिल करने के लिए जिला प्रशासन व पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग को पत्र लिखा है. उनका मानना है कि ऐसा करने से पीलीभीत की ऐतिहासिक धरोहर जामा मस्जिद के प्रति आकर्षित होंगे..FIRST PUBLISHED : May 22, 2023, 18:19 IST
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