बवासीर या पाइल्स एक घातक और पीड़ादायक बीमारी है. यह कब्ज का प्रमुख कारण है. कब्ज में मल सूख कर कठोर हो जाता है, जिसके कारण मल त्यागने में काफी दिक्कत होती है. वॉशरूम में ज्यादा दबाव के कारण ब्लड वेसेल्स पर जोर पड़ता है, जिससे वह फूलकर लटक जाती हैं. इसे ही बवासीर का मस्सा कहा जाता है. यह बीमारी सभी आयु वर्गों में आम है और पुरुष व महिलाओं दोनों को प्रभावित करता है. बवासीर के डायग्नोस के लिए क्लिनिकल हिस्ट्री की आवश्यकता होती है, क्योंकि इसमें खुजली, दर्द, बेचैनी और रक्तस्राव जैसे विशिष्ट लक्षण होते हैं.
रोजाना की ये आदतें बन सकती हैं बवासीर का कारण
भारी वजन उठाना, कम फाइबर वाले फूड का सेवन, गर्म और मसालेदार भोजन करना, मोटापा, लंबे समय तक बैठे रहना और मल त्याग के दौरान जोर लगाना बवासीर का कारण बनता है.
बवासीर के इलाज में डाइट महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. फाइबर की मात्रा, हरी सब्जियां, फल और पानी का सेवन कम मात्रा में किया जाता है.
तली हुई चीजों का सेवन करने से असंतुलन पाचन को कम कुशल बनाता है. कम पानी पीना भी एक अतिरिक्त फैक्टर है, जो कब्ज को बढ़ाता है.
ज्यादा कॉफी का सेवन मल त्याग को धीमा कर सकता है और मौजूदा बवासीर को बढ़ा सकता है.
जो लोग लगातार कब्ज और पुरानी मल त्याग से पीड़ित होते हैं, उन्हें बवासीर होने की संभावना अधिक होती है.
डाइट संबंधी टिप्सहमें अपनी डाइट में संतुलन बनाना चाहिए. नियमित फाइबर वाले भोजन जैसे सब्जियां, साबुत अनाज और फलों के साथ-साथ पर्याप्त मात्रा में पानी का सेवन करना चाहिए.
बवासीर का इलाजज्यादातर लोग बवासीर को ठीक करने के लिए घरेलू नुस्खों का सहारा लेते हैं, लेकिन दुर्भाग्य से घरेलू नुस्खों हमेशा के लिए राहत नहीं दिला सकते. घरेलू नुस्खे केवल बवासीर की गंभीरता को कम करने में मदद करते हैं और इसके कारण होने वाले दर्द व परेशानी के लिए एक अस्थायी समाधान प्रदान करते हैं. बवासीर होने पर तुरंत डॉक्टर को दिखाएं.
बवासीर के इलाज के दौरान क्या खाना चाहिए?बवासीर से पीड़ित व्यक्ति के लिए फलियां खाना सबसे ज्यादा आराम देने वाला भोजन होता है. यह आसानी से पचने योग्य होता है और बवासीर की स्थिति के कारण होने वाली जलन व सूजन से पेट की खराबी को भी दूर करता है. ब्राउन राइस, मक्का, जई और जौ जैसे साबुत अनाज भी बवासीर को नियंत्रित करने मदद करते हैं. इसलिए इन्हें भी डाइट में जरूर शामिल किया जाना चाहिए. मसालेदार खाने की जगह साबुत अनाज लें, जो सुचारू पाचन प्रक्रिया और समग्र पेट की कार्यप्रणाली के लिए फायदेमंद होते हैं. ब्रोकोली, शकरकंद, शलजम, और गाजर भी क्रेविंग के लिए स्वस्थ विकल्प हो सकते हैं और इसमें हाई स्तर के पोषण भी होते हैं.
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