सरसों की पहली सिंचाई का सही समय जानना बहुत जरूरी है, क्योंकि इसके बाद ही फसल की वृद्धि और उत्पादन प्रभावित होता है. रबी सीजन में कई किसान गेहूं के अलावा सरसों की खेती भी करते हैं, लेकिन अक्सर वे यह गलती कर देते हैं कि या तो सिंचाई देर से करते हैं या बहुत जल्दी. दोनों ही स्थिति में सरसों के पौधों पर बुरा असर पड़ता है. इसलिए पहली सिंचाई का सही समय जानना बहुत जरूरी है.
सरसों की पहली सिंचाई बुवाई के लगभग 25–30 दिन बाद करनी चाहिए. इस समय पौधे जड़ें मजबूत कर रहे होते हैं और उन्हें नमी की सबसे ज्यादा जरूरत होती है. इस अवधि को फसल की वृद्धि का “क्रिटिकल पीरियड” माना जाता है. इसी समय पौधे अपनी जड़ों को मजबूत बनाते हैं और नमी की सबसे ज्यादा आवश्यकता होती है. 25–30 दिन पर की गई सिंचाई पौधों की जड़ों को मजबूती देती है और आगे की बढ़वार बेहतर बनाती है. अगर किसान बुवाई के तुरंत बाद या 10–12 दिन में ही सिंचाई कर देते हैं, तो कई समस्याएं सामने आती हैं. जड़ें कमजोर रह जाती हैं, पौधों को खुद से मजबूती लेने का समय नहीं मिलता, पौधे गिरने लगते हैं, मिट्टी नरम होने से पौधे कमजोर होकर झुक सकते हैं, खरपतवार बढ़ने लगते हैं, जल्दी सिंचाई से खेत में घास-फूस तेजी से उगने लगते हैं, जिससे पौधों का पोषण कम हो जाता है. जल्दी सिंचाई करने का मतलब है कि फसल की शुरुआती वृद्धि पर जोखिम बढ़ाना, जिससे आगे उत्पादन प्रभावित हो सकता है.
अगर किसान पहली सिंचाई 30 दिन से अधिक देर में करते हैं, तो नुकसान और भी बड़ा हो सकता है. पौधे सूखने लगते हैं, नमी न मिलने से पत्तियां पीली पड़ने लगती हैं. फूल बनना रुक जाता है. इस चरण में नमी की कमी से फूल कम बनते हैं, जिससे पैदावार घट जाती है. उत्पादन कम हो जाता है, समय पर नमी न मिलने से दाना छोटा रह जाता है.
सरसों की पहली सिंचाई करने के लिए कुछ महत्वपूर्ण बातें हैं जिन पर ध्यान देना चाहिए. पहली सिंचाई हल्की करें, ताकि पानी सिर्फ जड़ों तक पहुंचे. खेत में पानी खड़ा नहीं होना चाहिए. भारी मिट्टी वाले खेतों में सिंचाई थोड़ी कम मात्रा में करें. ड्रिप या फुर्रा सिंचाई सबसे अच्छा तरीका माना जाता है. सरसों की पहली सिंचाई 25–30 दिन बाद करना ही सबसे सही समय है. यही वह समय है जब पौधों की बढ़वार तेज होती है और उन्हें नमी की सबसे ज्यादा जरूरत होती है. सिंचाई बहुत जल्दी या बहुत देर से करने पर पौधे कमजोर हो जाते हैं और उत्पादन पर सीधा असर पड़ता है. समय पर सिंचाई, सही खाद और खरपतवार नियंत्रण से किसान अपनी सरसों की फसल से अच्छा उत्पादन प्राप्त कर सकते है.

