पेट्रोल को कहिए अलविदा! अब मीठा ज्वार बनाएगा एथेनॉल, किसानों को होगा दोगुना फायदा

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पेट्रोल को कहिए अलविदा! अब मीठा ज्वार बनाएगा एथेनॉल, किसानों को होगा दोगुना फा

Last Updated:July 01, 2025, 18:48 ISTकानपुर के एनएसआई ने मीठे ज्वार से एथेनॉल बनाने की तकनीक विकसित की है. इससे किसानों की आय बढ़ेगी और देश को पेट्रोल का हरित विकल्प मिलेगा. परियोजना महाराष्ट्र और कर्नाटक में 1000 एकड़ भूमि पर शुरू हो चुकी है.हाइलाइट्सएनएसआई के वैज्ञानिकों ने मीठे ज्वार (जुंडी) से एथेनॉल बनाने में सफलता पाईकानपुर में लगेगा प्लांटदेश में एथेनॉल उत्पादन का पहला गैर-खाद्य स्रोतकानपुर- कानपुर स्थित राष्ट्रीय शर्करा संस्थान (NSIE) ने देश की ऊर्जा आत्मनिर्भरता की दिशा में एक क्रांतिकारी पहल की है. एनएसआई के वैज्ञानिकों ने मीठे ज्वार (जुंडी) से एथेनॉल बनाने में सफलता पाई है. अब इस परियोजना को व्यावसायिक स्तर पर लागू करने की तैयारी हो रही है, जिससे पेट्रोल की खपत में कमी आएगी और किसानों को एक नया आर्थिक विकल्प मिलेगा.

1000 एकड़ में फैलेगा मिशनएनएसआई ने पहले कानपुर में 10 एकड़ भूमि पर मीठे ज्वार की खेती की. इस फसल से प्रति टन करीब 50 लीटर एथेनॉल प्राप्त हुआ, जो एक बड़ी उपलब्धि है. इस सफलता को देखते हुए भारत पेट्रोलियम (BPCL) ने इस प्रोजेक्ट के लिए 14 करोड़ रुपये की फंडिंग की. अब यह योजना महाराष्ट्र और कर्नाटक में 500-500 एकड़ में लागू की जा रही है.

किसानों के लिए आर्थिक वरदान
संस्थान की निदेशक प्रो. सीमा परोहा के मुताबिक, यह फसल रबी, खरीफ और गर्मी तीनों सीजन में ली जा सकती है. किसानों को 55 टन प्रति हेक्टेयर तक उत्पादन मिलने की संभावना है. इससे किसानों को अतिरिक्त आमदनी होगी और गन्ने के साथ दोहरी फसल का लाभ मिलेगा. मीठे ज्वार को एडवांटा, आईएमआर, निरानी और एनएसएल समूह जैसे प्रमुख खरीदार समूह खरीदने को तैयार हैं.

किसानों की निगरानी के लिए बनेगा मोबाइल एपबीपीसीएल की सहायता से एनएसआई एक विशेष मोबाइल एप भी विकसित कर रहा है, जिसमें किसानों की खेती की सारी जानकारी दर्ज की जाएगी.

खेत की जियो टैगिंग

वैज्ञानिक खेती से जुड़ी रीयल टाइम सलाह

फसल की प्रगति की डिजिटल मॉनिटरिंग

इससे फसल की पारदर्शिता और गुणवत्ता सुनिश्चित की जा सकेगी.

दो राज्यों में होंगी विशेष टीमें तैनात

महाराष्ट्र में निगरानी की जिम्मेदारी एनएसएल समूह की होगी.

कर्नाटक में यह काम निरानी समूह देखेगा.

एनएसआई के वैज्ञानिक दोनों राज्यों में समय-समय पर दौरा कर खेती की समीक्षा करेंगे.

देश में एथेनॉल उत्पादन का पहला गैर-खाद्य स्रोत
एनएसआई की एक्सपेरिमेंटल शुगर फैक्ट्री में जब मीठे ज्वार से एथेनॉल का उत्पादन किया गया, तो प्रति टन 49–50 लीटर एथेनॉल प्राप्त हुआ. यह नॉन-फीड स्टॉक (गैर-खाद्य स्रोत) से एथेनॉल बनाने का भारत में पहला सफल प्रयोग है.

इससे सरकार को-

पेट्रोल में एथेनॉल की ब्लेंडिंग बढ़ाने में मदद मिलेगी.

आयात पर निर्भरता घटेगी

और देश को मिलेगा हरित ऊर्जा समाधान.

Location :Kanpur Nagar,Uttar Pradeshhomeuttar-pradeshपेट्रोल को कहिए अलविदा! अब मीठा ज्वार बनाएगा एथेनॉल, किसानों को होगा दोगुना फा

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