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People suffering from dementia are 7 times more likely to commit suicide shocking revelations in research | इस बीमारी से पीड़ित लोगों में आत्महत्या की संभावना 7 गुना अधिक, शोध में हुए चौंका देने वाले खुलासे



युवा अवस्था में डिमेंशिया से पीड़ित लोगों की आत्महत्या करने की संभावना सात गुना अधिक होती है. ब्रिटेन में हुए एक शोध में यह दावा किया गया है. शोध में करीब 5.94 लाख लोगों के मेडिकल रिकॉर्ड की जांच की गई. शोध के अनुसार, डिमेंशिया से पीड़ित हर 50 में से एक शख्स ने यह बात स्वीकारी कि इस बीमारी के चलते उन्हें लगता है कि वे आत्महत्या कर लें. उन्होंने इसकी वजह डिमेंशिया के लक्षण जैसे अवसाद और नींद न आना बताया है.
लंदन की क्वीन मैरी यूनिवर्सिटी और नॉटिंघम यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने डिमेंशिया को मौत का एक प्रमुख कारण मानते हुए आत्महत्या के जोखिम से इसके संबंधों का पता लगाने के लिए वर्ष 2001 से 2019 के बीच रोगियों के मेडिकल रिकॉर्ड का अध्ययन किया. सामने आया कि इन 18 वर्षों में 4,940 पीड़ितों ने डिमेंशिया से निजात पाई. फिर शोधकर्ताओं ने सिर्फ 65 वर्ष से कम आयु के पीड़ितों के मेडिकल रिकॉर्ड पर नजर रखी.इसमें सामने आया कि डिमेंशिया के बारे में जानने वाले पीड़ितों में सामान्य लोगों की तुलना में आत्महत्या करने की संभावना तीन गुना अधिक थी. जबकि, इससे निजात पाने के बाद शुरुआती तीन महीनों में उनमें आत्महत्या की संभावना सात गुना ज्यादा थी. गौरतलब है कि ब्रिटेन में करीब 8.5 लाख डिमेंशिया पीड़ित हैं. इसमें 42 हजार 65 वर्ष से कम के हैं. भारत में करीब 40 हजार लोग डिमेंशिया पीड़ित हैं. ये 60 वर्ष ज्यादा उम्र के हैं. 2035 तक आंकड़ा डबल हो सकता है.
शुरुआती कुछ महीनों तक होती है काउंसिलिंग की जरूरतनॉटिंघम विश्वविद्यालय के डॉ. दानाह अलोथमैन ने कहा, शोध के निष्कर्षों से पता चलता है कि डिमेंशिया के युवा रोगियों को बीमारी के निदान के बाद शुरुआती कुछ महीनों तक काउंसिलिंग की जरूरत होती है. चिकित्सकों को अनावश्यक मौतों के जोखिम से निपटने के लिए युवा मरीजों पर और अधिक मेहनत करनी चाहिए.
डिमेंशिया बीमारियों का सूमहडिमेंशिया किसी एक बीमारी का नाम नहीं है, बल्कि ये कई बीमारियों का समूह है. अल्जाइमर इस तरह की प्रमुख बीमारी है. डिमेंशिया के दो मुख्य रूप हैं. पहला, वैस्क्युलर डिमेंशिया, जिससे दिमाग की कोशिकाओं में रक्त संचार में रुकावट आती है. ये भारत जैसे देशों में बड़ा कारण है, क्योंकि ब्लड प्रेशर या रक्त संचार को प्रभावित करने वाली दूसरी बीमारियां यहां काफी सामान्य हैं. दूसरा मिश्रित डिमेंशिया है, इसमें रक्त संचार में रुकावट से हुए नुकसान के साथ ही दिमाग में प्रोटीन का जमाव होता है, जो दिमाग की प्रक्रियाओं में गड़बड़ी पैदा करता है.



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