पौधों पर छिड़किए ये ‘जादुई घोल’! नाइट्रोजन की कमी होगी पूरी, फसलों में आएगी चमक, बीमारियां भी रहेंगी दूर, ऐसे करें तैयार

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Plants ke Liye Desi Fertilizer: किसानों के लिए सबसे बड़ी चिंता होती है कि उनके पौधों को समय पर सभी पोषक तत्व मिलें ताकि फसल अच्छी हो. अक्सर देखा गया है कि मिट्टी में पोषक तत्वों की कमी की वजह से पौधे कमजोर रह जाते हैं और उन पर बीमारियों का असर जल्दी होता है. लेकिन अब यह समस्या हल हो सकती है.कोएर यूनिवर्सिटी रुड़की में हुए रिसर्च में ऐसा जैविक घोल तैयार किया गया है जो पौधों के लिए किसी अमृत से कम नहीं है. इस घोल को ‘जीव अमृत’ नाम दिया गया है. इसे बनाने में गाय का गोबर, गोमूत्र, बेसन और गुड़ का इस्तेमाल किया गया है. अच्छी बात यह है कि किसान इसे अपने घर पर ही आसानी से तैयार कर सकते हैं.

कैसे बनता है जीव अमृत?इस घोल को तैयार करने में 20 से 25 दिन का समय लगता है. इसमें गुड़ एक अहम भूमिका निभाता है. यह घोल में मौजूद गुड बैक्टीरिया को एक्टिव करने में मदद करता है, जिससे गोबर और गोमूत्र तेजी से खाद में बदल जाते हैं. सभी चीज़ें मिलकर ऐसा मिश्रण बनाती हैं, जो पौधों के लिए एक प्राकृतिक लिक्विड फर्टिलाइज़र जैसा काम करता है.

कैसे करें इस्तेमाल?
यह घोल तैयार होने के बाद स्प्रे के रूप में पौधों की पत्तियों और जड़ों पर छिड़का जा सकता है. किसी भी सामान्य स्प्रेयर से इसका छिड़काव किया जा सकता है. अगर पौधे पहले से कमजोर हैं या बीमारियों के लक्षण दिख रहे हैं, तो इसका असर जल्दी दिखाई देता है.

कोएर यूनिवर्सिटी रुड़की के एग्रीकल्चर प्रोफेसर डॉ. दीप गुप्ता ने लोकल18 से बातचीत में बताया कि यह घोल किसी भी तरह के पौधों पर इस्तेमाल किया जा सकता है फल, सब्जी, फसलें या कमर्शियल क्रॉप्स, सभी के लिए यह फायदेमंद है. इसका सबसे बड़ा फायदा ये है कि इसे स्प्रे फर्टिलाइज़र के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है, जिससे नाइट्रोजन सीधा पौधे को मिल जाती है और पौधा जल्दी ग्रंथ करता है. यही नहीं, इसमें मौजूद माइक्रो और माइक्रोन्यूट्रिएंट्स भी पौधों तक तेजी से पहुंचते हैं, जो पौधे की ग्रोथ और ताकत के लिए जरूरी होते हैं.

साइड इफेक्ट? बिल्कुल नहीं
प्रोफेसर डॉ. गुप्ता ने साफ बताया कि इस घोल का किसी भी पौधे पर कोई साइड इफेक्ट नहीं होता. यह पूरी तरह प्राकृतिक है और मिट्टी की उर्वरता को भी बढ़ाता है. जब पौधा शुरू से ही हेल्दी रहता है, तो बीमारियों का असर भी कम होता है और दवा पर खर्च भी घट जाता है.

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