Last Updated:November 09, 2025, 12:27 ISTHistory of Paandhoi River : पांवधोई नदी का इतिहास आस्था और चमत्कार से जुड़ा है. कहा जाता है कि संत बाबा लालदास हरिद्वार में गंगा स्नान के बाद अपनी लुटिया और डंडा गंगा में प्रवाहित कर आए थे, लेकिन अगले दिन वही लुटिया और डंडा सहारनपुर के जलाशय में तैरते मिले. तभी से यहां गंगा की धारा प्रवाहित होने लगी. इसी चमत्कार के कारण पांवधोई नदी को आज भी गंगा की धारा माना जाता है.सहारनपुर : गंगा-यमुना के दोआब और शिवालिक पर्वत श्रृंखला की तलहटी में बसे सहारनपुर जनपद के भू-मानचित्र पर कई नदियां प्रवाहित होती नजर आती हैं, लेकिन इनमें से छोटी सी दिखने वाली पांवधोई नदी अपने भीतर एक गहरी ऐतिहासिक, आध्यात्मिक और सामाजिक महत्ता समेटे हुए है. आज यह नदी सहारनपुर शहर को दो हिस्सों में बांटती हुई बहती है. पांवधोई से जुड़ी अनेक किवदंतियां और लोककथाएं प्रचलित हैं, जो इसे और भी रहस्यमय बनाती हैं. जिला मुख्यालय से करीब 7 किलोमीटर दूर स्थित शंकरापुरी (वर्तमान शकलापुरी) गांव के बाहरी क्षेत्र को इस नदी का उद्गम स्थल माना जाता है. कहा जाता है कि इसका उद्गम बाबा लालदास की गंगा माता के प्रति गहरी भक्ति और उनकी साधना शक्ति से जुड़ा है.
शकलापुरी गांव के खेतों में धरती की गोद से स्वाभाविक रूप से फूटने वाली कई जलधाराएं आपस में मिलकर धीरे-धीरे एक नदी का रूप ले लेती हैं. सर्पीली लहरों के साथ बहती यह धारा जब गांव से बाहर स्थित प्राचीन सिद्धपीठ भगवान शकलेश्वर महादेव मंदिर के चरणों को स्पर्श करती हुई आगे बढ़ती है, तो सहारनपुर शहर के उत्तरी छोर पर बाबा लालदास बाड़े तक पहुंचते-पहुंचते इसका स्वरूप भव्य हो उठता है. कहा जाता है कि सैकड़ों वर्ष पूर्व यहां एक निर्मल और शीतल जल से भरा जलाशय था, जिसके किनारे हरे-भरे वृक्षों की छाया, पक्षियों का कलरव और वातावरण की शांति मन को मोह लेती थी. बाबा लालदास ने इसी शांत, सुंदर और आध्यात्मिक स्थल को अपनी साधना भूमि के रूप में चुना. प्रातःकाल की पहली किरणों से चमकती जलतरंगें, संध्या के समय लौटते पक्षियों की आवाजें और चांदनी रात में झिलमिल करता जल यह दृश्य किसी को भी मोह लेने वाला था. माना जाता है कि बाबा लालदास की भक्ति और साधना शक्ति से प्रेरित होकर ही यह जलधारा आगे बढ़ी और गंगा की पवित्र धारा का स्वरूप लेकर पांवधोई नदी के रूप में प्रसिद्ध हुई.
शहर के बीचोंबीच बहती है पांवधोई नदीपांवधोई नदी सहारनपुर शहर के बीचोंबीच बहती हुई शहर को दो हिस्सों में बाँटती है. यह नदी धोबीघाट, पुल खुमरान, पुल दालमंडी, पुल सब्जी मंडी और पुल जोगियान जैसे क्षेत्रों से गुजरती हुई ढमोला नदी में मिलती है, जो आगे चलकर हिंडन नदी में समाहित हो जाती है. हिंडन, यमुना नदी की सहायक नदी है. अपने प्रवाह के दौरान यह नदी अनेक धार्मिक स्थलों और विशेष रूप से भगवान शिव के सानिध्य में बहती है, जिससे इसका आध्यात्मिक महत्व और बढ़ जाता है.
बाबा लालदास से जुड़ी है कहानीसाहित्यकार डॉ. वीरेंद्र आज़म ने बताया कि सहारनपुर की यह पांवधोई नदी ऐतिहासिक और धार्मिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है. सैकड़ों वर्षों से यह नदी यहां बह रही है और इसकी उत्पत्ति की कथा बाबा लालदास की भक्ति से जुड़ी हुई है. कहा जाता है कि 16वीं सदी में जब बाबा लालदास अपने शिष्यों के साथ सहारनपुर पहुंचे, तब उन्होंने यहां के एक सुंदर जलाशय को अपनी साधना भूमि बनाया.
क्या है पांवधोई नदी की मान्यता?एक दिन बाबा लालदास के मित्र हाजी शाह कमाल ने उनसे कहा कि आप गंगा जी के इतने बड़े भक्त हैं, तो क्यों न गंगा जी को यहीं बुला लें? बाबा ने मुस्कुराते हुए कहा कि क्यों नहीं और अगले दिन जब वे हरिद्वार गंगा स्नान के लिए गए, तो अपनी लुटिया और डंडा गंगा में प्रवाहित कर दिए. चमत्कारिक रूप से अगली सुबह वही लुटिया और डंडा सहारनपुर के बाबा लालदास घाट पर जलाशय में तैरते मिले. तब से ही माना जाता है कि गंगा की यह धारा सहारनपुर में प्रवाहित होने लगी और यही आज की पांवधोई नदी बनी. वैज्ञानिक परीक्षणों से यह भी स्पष्ट हुआ कि इसके जल में ऐसे खनिज तत्व पाए गए जो पहाड़ी जल स्रोतों में मिलते हैं जिससे यह विश्वास और मजबूत होता है कि यह धारा सचमुच गंगा माता की कृपा से उत्पन्न हुई है.mritunjay baghelमीडिया फील्ड में 5 साल से अधिक समय से सक्रिय. वर्तमान में News-18 हिंदी में कार्यरत. 2020 के बिहार चुनाव से पत्रकारिता की शुरुआत की. फिर यूपी, उत्तराखंड, बिहार में रिपोर्टिंग के बाद अब डेस्क में काम करने का अनु…और पढ़ेंमीडिया फील्ड में 5 साल से अधिक समय से सक्रिय. वर्तमान में News-18 हिंदी में कार्यरत. 2020 के बिहार चुनाव से पत्रकारिता की शुरुआत की. फिर यूपी, उत्तराखंड, बिहार में रिपोर्टिंग के बाद अब डेस्क में काम करने का अनु… और पढ़ेंन्यूज़18 को गूगल पर अपने पसंदीदा समाचार स्रोत के रूप में जोड़ने के लिए यहां क्लिक करें।Location :Saharanpur,Uttar PradeshFirst Published :November 09, 2025, 12:27 ISThomedharmपांवधोई नदी! बाबा लालदास की भक्ति से फूटी सहारनपुर में गंगा की धारा

