Uttar Pradesh

पांच कुओं के बीच बना पंचकुइयां मंदिर आज भी रखता है धार्मिक महत्व, जानिए क्या हैं मान्यताएं – News18 हिंदी



रिपोर्ट- शाश्वत सिंहझांसी. झांसी स्थित पंचकुईया मंदिर अपने आस्था और वैभव के लिए जितना मशहूर है. उतनी ही शानदार इस मंदिर का इतिहास भी है. यह मंदिर झांसी किले की तलहटी में स्थित है. चंदेल वंश के राजाओं में इस मंदिर को एक छोटे रुप में बनाया गया था. उस समय यहां मां शीतला और संकटा माता की छोटी मूर्तियां थी. 16वीं शताब्दी में ओरछा के राजा वीर सिंह बुंदेला ने जब झांसी किले का निर्माण करवाया तो इस छोटे मंदिर को विशाल रूप दिया. यहां विभिन्न देवी प्रतिमाओं की स्थापना भी वीर सिंह जूदेव ने ही स्थापित करवाई थी.बुंदेलखंड पुरातत्व समिति के अध्यक्ष और इतिहासकर डॉ. एस के दुबे ने बताया कि मंदिर में पांच छोटे कुएं स्थापित हैं. यह पांच कुइयां वर्ण व्यवस्था के आधार पर बनाई गई थी. इनमें एक कुआं मंदिर की देवी के लिए आरक्षित था. मराठा शासन में महारानी लक्ष्मीबाई भी रोजाना यहां पूजा करने आती थीं. उन्होंने बताया की मंदिर की अधिकांश मूर्तियां बाहर से लाई गई थी.अलग बीमारियों के लिए अलग देवियांमान्यता है कि, इस मंदिर में अलग अलग बीमारियों के लिए कई देवियां है. मोतीझरा बीमारी के लिए मोतीझरा माता को पालक की भाजी चढ़ाई जाती हैं. खसरा के इलाज के लिए बोदरी माता को सफेद कागज पर पालक चढ़ाने की मान्यता है. बड़ी चेचक की दाग के लिए खिलौनी खिलौना माता का मंदिर बना हुआ हैं. यहां चमेली का तेल चढ़ाने की मान्यता है. ऐसे ही सुहाग की रक्षा के लिए महिलाएं बीजासेन माता की पूजा करती हैं. अपनी मान्यताओं की वजह से कई लोग इसे अपनी कुलदेवी का मंदिर भी मानते हैं.(NOTE: इस खबर में दी गई सभी जानकारियां और तथ्य मान्यताओं के आधार पर हैं. NEWS18 LOCAL किसी भी तथ्य की पुष्टि नहीं करता है.)ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें News18 हिंदी| आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट News18 हिंदी|FIRST PUBLISHED : February 04, 2023, 16:00 IST



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