पान की दुकान से PhD तक का सफर! लोगों ने कहा दिखावा है… आज वही लड़का बना सरकारी टीचर

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पान की दुकान से PhD तक का सफर! लोगों ने कहा दिखावा है… आज वही लड़का बना सरकारी

गाजीपुर- गाजीपुर के लंका मोहल्ला स्थित एक तिराहा, एक पान की दुकान और एक लड़का जिसे न कोचिंग मिली, न लाइब्रेरी, न एसी कमरा. लेकिन उसके पास थी जिद और सपना. आसपास के लोग कहते कि यह तो दिखावा करता है, पढ़ने का बहाना है, लेकिन वह युवा हर ताने को अपनी ताकत बनाता रहा. आज वही युवक, बलिया जिले के प्राथमिक विद्यालय में शिक्षक है और साथ ही PhD की पढ़ाई कर रहा है.बीटीसी से टीचर की शुरुआत
लड़के का नाम अमित है. ग्रेजुएशन के दौरान उन्होंने NCC भी किया और एक परिचित की सलाह पर बीटीसी (अब D.El.Ed) कोर्स में दाखिला लिया. उनकी पहली पोस्टिंग बांदा में हुई और बाद में ट्रांसफर होकर वे बलिया पहुंचे. आज वे सैन्य विज्ञान में PhD कर रहे हैं और कहते हैं कि मेरा सपना सिर्फ टीचर बनना नहीं था, मैं प्रोफेसर बनना चाहता हूं और उसके लिए हर दिन मेहनत करता हूं.

पढ़ाई की असली पाठशाला बनी पान की दुकानअमित बताते हैं कि सुबह स्कूल जाते थे, दिन में पान की दुकान संभालते थे, और उसी दुकान पर बैठकर पढ़ाई भी करते थे. किताबें दुकान पर ही रखी थीं, और ग्राहकों के बीच से समय निकालकर पढ़ते थे. उन्हें शोर-शराबे की आदत हो गई थी, और अब वही शोर उन्हें किताबों से जोड़ता है.

लोगों के ताने बने हौसला
अमित अपने संघर्ष के दिनों को याद करते हुए बताते हैं कि लोग मुझे ताना मारते थे, लेकिन उन बातों ने मेरे अंदर आग भर दी. आज वही लोग कहते हैं कि कमाल कर दिया, जिस पान की दुकान को लोग मजाक समझते थे, वही उनकी लाइब्रेरी, स्कूल और प्रेरणा केंद्र बन गई. उन्होंने उसी दुकान पर ग्रेजुएशन, फिर बीटीसी, और बीएड पूरा किया.

लंका तिराहा बना ‘सक्सेस प्वाइंट’गाजीपुर के लंका तिराहा कोई शांत जगह नहीं है. यहां से बनारस, दिल्ली, गोरखपुर जाने वाली गाड़ियां हर पल गुजरती हैं. लेकिन इसी ट्रैफिक, भीड़ और शोरगुल के बीच अमित ने अपनी एकाग्रता और लक्ष्य पर पकड़ बनाई. अंत में अपना लक्ष्य हासिल करके ही माने.

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