Champions Trophy Pakistan: पाकिस्तान क्रिकेट टीम चैंपियंस ट्रॉफी से बाहर हो चुकी है. न्यूजीलैंड और भारत के खिलाफ मैच हारने के बाद उसका बाहर होना तय हो गया था. टूर्नामेंट से रवानगी पर अंतिम मुहर न्यूजीलैंड के खिलाफ बांग्लादेश की हार ने लगा दी. इससे तय हो गया कि मेजबान टीम अब किसी भी फॉर्मूले से सेमीफाइनल में नहीं पहुंच सकती है. भले ही चैंपियंस ट्रॉफी में उसका एक मुकाबला बचा है, लेकिन अब वह सिर्फ औपचारिक रह गया है. टीम के ग्रुप राउंड से बाहर होने के बाद पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड (पीसीबी) के सामने नई चुनौती खड़ी हो गई है.
अब क्या करेगा पाकिस्तान?
चैंपियंस ट्रॉफी में पाकिस्तान के खराब प्रदर्शन के बाद राष्ट्रीय टीम के लिए प्रायोजक जुटाना भी पीसीबी के लिए चुनौती बन सकता है. भारत से हारने से एक दिन पहले ऑस्ट्रेलिया-इंग्लैंड मैच के लिए गद्दाफी स्टेडियम में लोगों की शानदार भीड़ को देखकर पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड (पीसीबी) के अधिकारी आत्मविश्वास से भरे हुए थे. बोर्ड के एक अधिकारी ने कहा था, ”लोगों की प्रतिक्रिया और पाकिस्तान से इतर मैच का आनंद लेते देखना एक उत्साहवर्धक अनुभव था.”
कहां से आएंगे दर्शक?
अधिकारी ने कहा था, ‘‘अब चुनौती यह सुनिश्चित करना है कि पाकिस्तान में बचे हुए मैचों के लिए दर्शकों की भीड़ आती रहे क्योंकि हम 29 साल बाद इतने बड़े टूर्नामेंट की मेजबानी कर रहे हैं.” 1996 के विश्व कप के बाद पाकिस्तान में आठ टीमों की चैंपियंस ट्रॉफी अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आईसीसी) का पहला टूर्नामेंट है और उम्मीद थी कि घरेलू टीम अच्छा प्रदर्शन करेगी.
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टीम की ब्रांड वैल्यू पर पड़ेगा असर
सोमवार को न्यूजीलैंड की जीत का मतलब है कि बांग्लादेश और पाकिस्तान दोनों ही टूर्नामेंट से बाहर हो गए हैं. बोर्ड के वाणिज्यिक इकाई के एक विश्वसनीय सूत्र ने कहा कि अगर पाकिस्तान सेमीफाइनल में नहीं भी खेलता है तो भी पीसीबी को वित्तीय रूप से कोई बड़ा झटका नहीं लगेगा क्योंकि केवल गेट पर्ची और मैदान की आय के अन्य स्रोत ही प्रभावित होंगे. लेकिन संकटग्रस्त टीम की ‘ब्रांड वैल्यू’ पर असर पड़ने वाला है.
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अब कहां से आएंगे पैसे?
उन्होंने कहा, ”हमें मेजबानी शुल्क, टिकट बिक्री सहित आईसीसी राजस्व में हमारा हिस्सा मिलने की गारंटी है, लेकिन अन्य मुद्दे भी हैं जैसे कि लोगों का इस बड़े टूर्नामेंट में रुचि खत्म होना और प्रसारणकर्ता द्वारा आधे भरे हुए स्टेडियम दिखाना. इसके अलावा सबसे बड़ी चिंता यह है कि यहां क्रिकेट के प्रति दीवानगी के बावजूद भविष्य में पाकिस्तान क्रिकेट को एक ब्रांड के रूप में बेचना आसान नहीं होगा.”
(पीटीआई-भाषा इनपुट सहित)
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