अमेठी के इन शक्तिपीठों का है प्राचीन इतिहास
अमेठी जिले में कई प्राचीन मंदिर हैं जो शक्तिपीठों के रूप में जाने जाते हैं। इन मंदिरों में से एक है कालिका धाम मंदिर, जो अमेठी जिले के संग्रामपुर में स्थित है। यह मंदिर महर्षि च्यवन मुनि की तपोस्थली माना जाता है और मंदिर में मौजूद अमृत कुंड पर मां स्वयं विराजमान हैं। यहां दर्शन पूजन करने से सभी कष्ट रोग दूर होते हैं।
असम राज्य में मौजूद प्रमुख शक्तिपीठों में से एक मां कामाख्या देवी का मंदिर का उप शक्तिपीठ अमेठी जिले में मौजूद है। अमेठी जिले के शुकुल बाजार में स्थित मां कामाख्या देवी का मंदिर मौजूद है, जिसकी स्थापना पांडवों ने की थी। यह मंदिर प्रमुख शक्तिपीठ का अप शक्तिपीठ कहा जाता है और यहां भी दर्शन पूजन करने से कष्ट समस्या दूर होती है।
इसके अलावा, अमेठी जिले में मौजूद मां हिंगलाज धाम का पहला मंदिर पाकिस्तान के बाद सीधे यही मौजूद है। पाकिस्तान की हिंगलाज देवी प्रमुख शक्तिपीठों में से एक मानी जाती है और हिंगलाज भवानी मंदिर अमेठी जिले के मुसाफिरखाना तहसील के दादरा में स्थित है। यह प्रमुख मंदिरों में से एक है जहां पर माता को बाबा पुरुषोत्तम दास ने स्थापित कराया था।
अमेठी जिले के गौरीगंज के भवनशाहपुर में मौजूद मां दुर्गन भवानी का प्रसिद्ध मंदिर मौजूद है, जिसकी स्थापना अमेठी के राजा रणंन्जय सिंह ने की थी। यह मंदिर काफी प्राचीन मंदिरों में से एक है और यहां के जल से आंख़ो कि समस्या और बीमारी दूर होती है। यह मंदिर भी बहुत प्रसिद्ध है।
अंत में, अमेठी जिले के सिंहपुर में मौजूद मांता अहोरवा भवानी का मंदिर एक और शक्तिपीठ है। यह मंदिर स्थापित है वहां पहले जंगल हुआ करता था, लेकिन आज यह मंदिर भक्तों की आस्था का केंद्र है। इन सभी मंदिरों का शक्तिपीठ से गहरा प्राचीन नाता है और ये मंदिर भक्तों के लिए एक महत्वपूर्ण स्थल हैं।