उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपने निर्देशों में स्पष्ट किया है कि विकास की योजनाएं तभी सफल मानी जाएंगी जब वे धरातल पर उतरकर लोगों को लाभ पहुंचाएंगी। केवल कागजों और फाइलों में योजनाओं को सीमित करने से न तो शहरों का कायाकल्प होगा और न ही राज्य की छवि बदलेगी।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आवास एवं नगर विकास विभाग की उच्चस्तरीय समीक्षा बैठक में अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि केवल फाइलों तक सीमित न रहें, बल्कि धरातल पर जाकर परियोजनाओं की वास्तविक स्थिति का आकलन करें। मुख्यमंत्री ने कहा है कि विकास प्राधिकरणों को योजनाएं बनाते समय पारदर्शिता और वैज्ञानिक प्रक्रिया को प्राथमिकता देनी चाहिए। साथ ही ग्रीन कॉरिडोर, अवस्थापना सुविधाओं और मलिन बस्तियों के कायाकल्प पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है, ताकि विकास कार्य न केवल शहरों के समग्र विकास को गति दें बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर मॉडल भी बनें।
मुख्यमंत्री ने कहा है कि विकास प्राधिकरण जब मास्टर प्लान तैयार करें तो उसकी चयन प्रक्रिया पूरी तरह पारदर्शी और वैज्ञानिक होनी चाहिए। हर प्रस्ताव को स्थानीय स्तर पर गहन सर्वे और अध्ययन के बाद ही अंतिम रूप दिया जाए। उन्होंने अधिकारियों से कहा है कि योजनाओं को इस तरह तैयार करें कि वे लंबे समय तक टिकाऊ और व्यावहारिक साबित हों।
ग्रीन कॉरिडोर और अवस्थापना सुविधाओं पर जोर मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया है कि ग्रीन कॉरिडोर और अन्य अवस्थापना परियोजनाओं के लिए निवेश ऋण के माध्यम से निधि उपलब्ध कराई जाए। इससे विकास परियोजनाओं को गति मिलेगी और शहरों की संरचना बेहतर होगी। उन्होंने सुझाव दिया है कि विकास प्राधिकरण ऐसी योजनाएं लाएं जो राष्ट्रीय स्तर पर अन्य राज्यों के लिए भी उदाहरण बन सकें।
मुख्यमंत्री योगी ने नगर विकास विभाग की बैठक में मलिन बस्तियों पर विशेष जोर दिया है। उन्होंने कहा है कि इन इलाकों में साफ-सफाई, पेयजल आपूर्ति, जल निकासी, सड़क कनेक्टिविटी, कूड़ा कलेक्शन और स्ट्रीट लाइट जैसी मूलभूत सुविधाओं का विस्तार आवश्यक है। उनका कहना था कि शहरों के विकास का अर्थ केवल बड़े प्रोजेक्ट नहीं बल्कि गरीब और पिछड़े वर्ग की बस्तियों का कायाकल्प भी होना चाहिए।
नियोजित और समन्वित विकास की जरूरत मुख्यमंत्री ने कहा है कि शहरों में होने वाले सभी विकास कार्य नियोजित और समन्वित ढंग से होने चाहिए। जल निकासी व्यवस्था को मजबूत बनाने पर उन्होंने विशेष बल दिया है। उन्होंने कहा है कि बरसात के मौसम में जलभराव की समस्या को रोकने के लिए शुरुआती स्तर पर ही ठोस योजनाएं बनाई जाएं।
स्मार्ट सिटी परियोजनाओं पर बोलते हुए मुख्यमंत्री ने कहा है कि इन योजनाओं को केवल सौंदर्यीकरण तक सीमित न रखा जाए, बल्कि इस तरह तैयार किया जाए कि शहरों का समग्र विकास हो और राजस्व में भी वृद्धि हो। इसके लिए शहरी ढांचे को आधुनिक तकनीक से जोड़ा जाए।
पीपीपी मॉडल पर विकसित हों नए प्रोजेक्ट मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने निर्देश दिया है कि शहरों में शॉपिंग कॉम्प्लेक्स, पार्किंग स्थल, रेस्टोरेंट और ऑडिटोरियम जैसे प्रोजेक्ट्स को पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप (PPP) मॉडल पर विकसित किया जाए। इससे न केवल सरकारी संसाधनों पर बोझ कम होगा, बल्कि निजी निवेश को भी प्रोत्साहन मिलेगा और लोगों को बेहतर सुविधाएं मिलेंगी।
मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिया है कि बिना मानक और नगर निकायों की अनुमति के विकसित हो रही कॉलोनियों और बस्तियों को प्रारंभिक स्तर पर ही रोका जाए। उनका कहना था कि अवैध और असंगठित तरीके से विकसित होने वाली कॉलोनियां भविष्य में गंभीर समस्याओं का कारण बनती हैं, इसलिए इन्हें शुरुआती चरण में ही नियंत्रित करना जरूरी है।