देश की राजधानी दिल्ली के स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों की सेहत को लेकर एक गंभीर चेतावनी सामने आई है. अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) और भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) द्वारा किए गए एक अध्ययन में यह खुलासा हुआ है कि दिल्ली के प्राइवेट स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों में मोटापे की दर सरकारी स्कूलों की तुलना में पांच गुना ज्यादा है. यह आंकड़े न केवल चौंकाने वाले हैं, बल्कि आने वाले समय में बच्चों के दिल की सेहत को लेकर गंभीर संकट का संकेत भी दे रहे हैं.
इस स्टडी में 6 से 19 साल के करीब 4000 छात्रों को शामिल किया गया, जिनमें प्राइवेट और सरकारी दोनों स्कूलों के बच्चे थे. शोधकर्ताओं ने बच्चों के बीपी, ब्लड शुगर, कोलेस्ट्रॉल और कमर की चर्बी जैसे महत्वपूर्ण हेल्थ पैरामीटर्स का विश्लेषण किया. चौंकाने वाली बात यह रही कि प्राइवेट स्कूलों के बच्चे जहां कैलोरी से भरपूर भोजन और जंक फूड तक ज्यादा पहुंच रखते हैं, वहीं उनकी फिजिकल एक्टिविटी भी बेहद कम होती जा रही है. स्क्रीन टाइम बढ़ना, खेल-कूद में कमी और अकादमिक दबाव के कारण ये बच्चे बाहर खेलने के बजाय घर में ही बैठे रहते हैं, जिससे उनका वजन तेजी से बढ़ रहा है.
छुपी बीमारियों की दस्तकAIIMS की रिपोर्ट में बताया गया कि कई प्राइवेट स्कूल के छात्रों में मेटाबॉलिक सिंड्रोम के लक्षण देखे गए जैसे हाई ब्लड शुगर, असामान्य कोलेस्ट्रॉल लेवल और हाई ब्लड प्रेशर. सबसे बड़ी चिंता की बात यह है कि ये लक्षण आमतौर पर वयस्कों में देखने को मिलते हैं, लेकिन अब बच्चे भी इसकी चपेट में आ रहे हैं. इससे भविष्य में हार्ट डिजीज, डायबिटीज और अन्य लाइफस्टाइल बीमारियों का खतरा कई गुना बढ़ सकता है.
सरकारी स्कूलों में भी खतरे की घंटीदूसरी ओर, सरकारी स्कूलों में मोटापा कम जरूर है, लेकिन वहां बच्चे कुपोषण और अंडरवेट की समस्या से जूझ रहे हैं. रिपोर्ट के अनुसार, अंडरवेट बच्चों में भी हाई ब्लड प्रेशर और मेटाबॉलिक सिंड्रोम के लक्षण मिले हैं, जो यह साबित करता है कि केवल वजन ज्यादा होना ही नहीं, कमजोरी भी सेहत के लिए खतरनाक हो सकती है.
Disclaimer: प्रिय पाठक, हमारी यह खबर पढ़ने के लिए शुक्रिया. यह खबर आपको केवल जागरूक करने के मकसद से लिखी गई है. हमने इसको लिखने में सामान्य जानकारियों की मदद ली है. आप कहीं भी कुछ भी अपनी सेहत से जुड़ा पढ़ें तो उसे अपनाने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें.