हाल ही में किए गए एक रिसर्च में पता चला है कि किशोरों में मोटापा क्रोनिक किडनी रोग (सीकेडी) के खतरे को बढ़ा सकता है. इस अध्ययन को यरुशलम के हिब्रू यूनिवर्सिटी और तेल हाशोमर के शेबा मेडिकल सेंटर के शोधकर्ताओं ने मिलकर किया है.
यह अध्ययन प्रसिद्ध जर्नल JAMA Pediatrics में “किशोरों का बॉडी मास इंडेक्स और युवा वयस्कता में प्रारंभिक क्रोनिक किडनी रोग” शीर्षक से प्रकाशित हुआ है. इसमें इस बात पर प्रकाश डाला गया है कि किशोरों में बॉडी-मास इंडेक्स (बीएमआई) को कम करके उन लोगों के लिए किडनी रोग के खतरे को बेहतर तरीके से मैनेज किया जा सकता है, जो अधिक वजन वाले हैं.हेल्दी दिखने वाले भी रहें सतर्कअध्ययनकर्ताओं ने पाया कि गंभीर मोटापे से ग्रस्त किशोरों को क्रोनिक किडनी रोग का खतरा सबसे अधिक होता है, लेकिन 30 से कम के हाई बीएमआई, लेकिन स्वस्थ दिखने वाले युवा लोगों में भी चिंता का कारण है. शोधकर्ताओं ने कहा कि किशोरों में मोटापे की बढ़ती दर के बावजूद, प्रारंभिक क्रोनिक किडनी रोग की शुरुआत से जुड़े डेटा की कमी थी.
रिसर्चअध्ययन का नेतृत्व हिब्रू यूनिवर्सिटी में फैकल्टी ऑफ मेडिसिन के सैन्य चिकित्सा विभाग के डॉ. अविशाई त्सुर ने किया. उन्होंने कहा कि ये निष्कर्ष क्रोनिक किडनी रोग और बाद में दिल की बीमारी विकसित होने की संभावित रूप से रोके जा सकने वाली बढ़ती संभावना के अग्रदूत हैं. इस अध्ययन में इजराइल और अमेरिका के प्रमुख स्वास्थ्य संस्थानों के सहयोगियों ने 593,660 इजराइली किशोरों (16 से 20 साल की उम्र) पर डेटा शामिल किया था, जो 1 जनवरी, 1975 के बाद पैदा हुए थे और 31 दिसंबर, 2019 तक अनिवार्य सैन्य सेवा के लिए मेडिकल मूल्यांकन किया था.
अध्ययन का रिजल्ट13.4 साल के औसत फॉलो-अप के साथ, कुल मिलाकर 1,963 किशोरों (0.3%) में प्रारंभिक क्रोनिक किडनी रोग विकसित हुआ. पुरुषों के लिए, इस बीमारी के विकसित होने का खतरा गंभीर मोटापे के साथ सबसे अधिक बढ़ गया. महिलाओं में, बढ़ा हुआ खतरा गंभीर मोटापे के साथ सबसे अधिक था, लेकिन यह उन लोगों से भी जुड़ा था, जो हल्के मोटे थे.
अध्ययन का निष्कर्षलेखकों ने निष्कर्ष निकाला कि इस अध्ययन के निष्कर्ष, किशोरों में मोटापे की दर को कम करने और किडनी की बीमारी के विकास से जुड़े रिस्क फैक्टर के प्रबंधन के महत्व को रेखांकित करते हैं. बच्चों को कम उम्र से ही स्वस्थ आहार और नियमित व्यायाम के महत्व के बारे में शिक्षित करना और किशोरों के वजन पर करीब से नजर रखना इस संभावित घातक बीमारी से बचाने में सहायक हो सकता है.
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