Last Updated:July 13, 2025, 15:56 ISTवरिष्ठ पत्रकार और आपातकाल के स्वयं गवाह बने राज खन्ना ने बताया कि रनके डीह की घटना 27 अगस्त 1976 को हुई थी. उस समय अफसर हुसैन सुल्तानपुर के जिलाधिकारी हुआ करते थे.सुल्तानपुर: उत्तर प्रदेश के सुल्तानपुर में आपातकाल की वीभत्स यादें जुड़ी हुई हैं. अमेठी से सटे जनपद में संजय गांधी का सीधा दखल हुआ करता था. कुड़वार थाना क्षेत्र के रनकेडीह गांव में 27 अगस्त को जब जिला प्रशासन लोगों को नसबंदी के लिए प्रेरित करने के लिए एकत्र किया तो लोगों ने कार्यक्रम का विरोध किया. अधिकारियों को गांव से बाहर खदेड़ दिया. इस पर पुलिस ने गोली चला दी और 9 लोग मारे गए तथा दर्जनों लोग घायल हो गए. पूरी घटना का जिक्र वरिष्ठ पत्रकार कुलदीप नैयर ने अपनी पुस्तक द जजमेंट: इनसाइड स्टोरी ऑफ द इमरजेंसी इन इंडिया के पृष्ठ संख्या 134 तथा 135 पर किया है.
हिला देने वाली थी यह घटना वरिष्ठ पत्रकार और आपातकाल के स्वयं गवाह बने राज खन्ना बताते हैं कि रनके डीह की घटना 27 अगस्त 1976 को हुई थी. उस समय अफसर हुसैन सुल्तानपुर के जिलाधिकारी हुआ करते थे. मगर, जिस समय यह घटना हुई उस समय अफसर हुसैन छुट्टी पर थे और प्रभार के रूप में जिलाधिकारी की कमान जीके शुक्ला को सौंपी गई थी. स्थानीय निवासी नबी अहमद बताते हैं कि नसबंदी को लेकर अफसर हुसैन की खूबसूरत पत्नी रजिया हुसैन इस बैठक को लीड कर रही थीं और लोगों को नसबंदी के फायदे के बारे में समझा रही थीं. मगर लोगों ने इसका विरोध किया और भगदड़ मच गई. पुलिस ने काफी मशक्कत के बाद रजिया हुसैन को भीड़ से सुरक्षित बाहर निकाला. नबी अहमद उस समय तो छोटे थे, लेकिन उनकी मां ने भी इस घटना का दंश झेला था और जेल की सलाखों के पीछे गई थीं.
जांच के लिए बनाया गया निगम कमीशन
रनके डीह की घटना के लिए एक रिटायर्ड जज की अध्यक्षता में निगम कमिश्नर का गठन किया गया, जिसकी सुनवाई सुल्तानपुर के जिला पंचायत परिसर में होती थी. निगम कमीशन की रिपोर्ट के मुताबिक इस घटना में 100 से अधिक लोग घायल हुए थे. वहीं 9 लोगों की मृत्यु हुई थी. हालांकि मृत्यु को लेकर अलग-अलग दावे किए जाते हैं. कुछ लोग मृत्यु में 13 लोगों के शामिल होने की बात कहते हैं.
गोली चलाने की जबरन ली थी अनुमति तत्कालीन जिलाधिकारी अफसर हुसैन छुट्टी पर थे और प्रभार के रूप में जीके शुक्ला को जिलाधिकारी बनाया गया था. लोग ऐसा बताते हैं कि इस घटना में हुई भगदड़ को नियंत्रित करने के लिए पुलिस ने प्रभारी जिलाधिकारी जीके शुक्ला से जबरन गोली चलाने की अनुमति ली थी. उसे समय जीएल सक्सेना पुलिस अधीक्षक, इनाम अली सीओ और एडवर्ड लॉरेंस एसडीएम सदर हुआ करते थे.
कई स्थानीय नेताओं को हुई थी जेल रनके डीह के ग्राम प्रधान राजेश कुमार बताते हैं कि आपातकाल के इस दौर में कई स्थानीय नेताओं को जेल में बंद कर दिया गया. इनमें पूर्व विधायक अनूप संडा के पिता त्रिभुवन संडा, अमेठी के पूर्व सांसद रवींद्र प्रताप सिंह, पूर्व विधायक दादा तेजभान सिंह पत्रकार राम कृष्ण जायसवाल आदि लोगों को जेल में डाल दिया गया. रनके डीह की घटना को अखबारों में न छापने के लिए एसडीएम सदर एडवर्ड लॉरेंस खुद पुलिस फोर्स के साथ पत्रकार राज खन्ना के पास आए और खबर ना भेजने को कहा था.Location :Sultanpur,Uttar Pradeshhomeuttar-pradeshनसबंदी नहीं कराई तो मार दी गई गोली, जानिए आपातकाल की यह अद्भुत दास्तां