62 साल पुरानी दुकान आज भी शहर के स्वाद का प्रतीक है. यह तीसरी पीढ़ी के हाथ में बागडोर है. मिठाई की ये दुकान तीन पीढ़ियों से चली आ रही शुद्धता की परंपरा है. इसे लोग आज भी इसके संस्थापक प्रयाग जी की दुकान के नाम से जानते हैं.
यूपी के गाजीपुर के झुनू लाल चौराहा के पास एक 62 साल पुरानी दुकान आज भी शहर के स्वाद का प्रतीक बनी हुई है. 1963 से शुरू हुई एक परंपरा आज भी तीन पीढ़ी तक जीवित है. यह मिठाई की दुकान महज एक स्टोर नहीं, बल्कि तीन पीढ़ियों से चली आ रही शुद्धता की परंपरा है, जिसे लोग आज भी इसके संस्थापक के नाम पर प्रयाग जी की दुकान से जानते हैं. न कोई बड़ा कारखाना है, न कोई अत्याधुनिक शोरूम. बस एक-दो कमरे हैं, जहां दादा, पिताजी और तीसरी पीढ़ी के सदस्य मिलकर शुद्धतम क्वालिटी का खोया तैयार करते हैं. यह दुकान साबित करती है कि स्वाद मशीन से नहीं, बल्कि हाथ के हुनर आता है.
दुकान के तीसरी पीढ़ी के मालिक का दावा है कि उनके यहां का गुलाब जामुन 60 साल पहले से बन रहा है और इसका खोया शत-प्रतिशत शुद्ध होता है. यही शुद्धता इसे बाज़ार में विशिष्ट बनाती है. आज जब शहर के बड़े ब्रांड ₹500 या उससे अधिक किलो में गुलाब जामुन बेच रहे हैं, तब भी ग्राहक प्रज्ञा जी की दुकान पर क्यों उमड़ते हैं? जवाब है—शुद्ध खोया और विश्वास. यहां का गुलाब जामुन आज के आधुनिक गुलाब जामुन से कहीं अलग है. यह हमेशा गरम और बेहद सॉफ्ट होता है. जैसे ही इसे मुंह में डालते हैं, यह तुरंत घुल जाता है और एहसास होता है कि अंदर तक शुद्ध खोया भरा हुआ है. ₹10 की मामूली कीमत पर मिलने वाला यह स्वाद, बड़े ब्रांड्स के लिए चुनौती है.
इन दो का जादू
दुकान मालिक बताते हैं कि उनके गुलाब जामुन का सीक्रेट सिर्फ शुद्ध खोया और अच्छी क्वालिटी की इलायची है. गुलाब जामुन की डिमांड इतनी है कि इसे बनाने का कोई निश्चित समय नहीं है. डिमांड आने पर दोपहर 1 से 3 बजे के बीच भी इसे फिर से बनाना शुरू करना पड़ता है, क्योंकि लोग इसे पारिवारिक आयोजनों और दूर-दराज के शहरों में भेजने के लिए हाथों-हाथ ले जाते हैं.

