कोलेस्ट्रॉल को आमतौर पर हार्ट अटैक के बड़े कारणों के रूप में पेश किया जाता है. यह बार-बार बताया जाता है कि दिल की बीमारियों से बचना है तो हाई कोलेस्ट्रॉल से बचें. लेकिन वास्तव में हार्ट अटैक आने की संभावना लगातार कोलेस्ट्रॉल हाई होने के 3-4 साल बाद आता है.
यूएस के जाने-माने प्रिवेंटिव कार्डियोलॉजिस्ट और लॉन्गेविटी एक्सपर्ट डॉक्टर वासिली एलिओपोलस ने बताया है कि लगभग आधे हार्ट अटैक उन लोगों को होते हैं जिनका कोलेस्ट्रॉल लेवल रिपोर्ट में नॉर्मल आता है. इसकी वजह ये है कि कोलेस्ट्रॉल अकेला हार्ट अटैक का पूरा खतरा नहीं बताता. ये नहीं बताता कि धमनियों में पहले से कितना खतरनाक प्लाक जमा हो चुका है, जो किसी भी वक्त फटकर हार्ट अटैक की वजह बन सकता है.
इसे भी पढ़ें- Malaika Arora Workout: सिर्फ 45 सेकंड में पूरे शरीर का वर्कआउट, फॉलो करें मलाइका अरोड़ा के ये 5 टिप्स
क्या असली में हार्ट अटैक का खतरा बढ़ाता है?
डॉ. वास के मुताबिक, सही तरीके से हार्ट अटैक के जोखिम को जानने के लिए केवल सामान्य ब्लड रिपोर्ट काफी नहीं है. इसके लिए शरीर के अंदर की सूजन, अनुवांशिक जोखिम और छिपे हुए प्लाक जैसी चीजों को समझना जरूरी है.
हार्ट अटैक के लिए जिम्मेदार ये कारक
इंफ्लेमेशन लेवल (सूजन)- शरीर में लंबे समय तक बनी सूजन धमनियों को नुकसान पहुंचाती है.
लाइपोप्रोटीन पार्टिकल्स की संख्या- ये संख्या टोटल कोलेस्ट्रॉल से ज्यादा मायने रखती है.
लिपोप्रोटीन (a)- यह एक अनुवांशिक फैक्टर है जो कई बार डॉक्टर भी नहीं चेक करते, लेकिन यह हार्ट अटैक का बड़ा कारण हो सकता है.
सॉफ्ट प्लाक- कैल्शियम स्कोर भले ही नॉर्मल हो, लेकिन धमनियों में मौजूद सॉफ्ट प्लाक बड़ा खतरा बन सकता है.
लाइफस्टाइल- डाइट, स्ट्रेस, नींद और शारीरिक गतिविधि भी दिल की सेहत को प्रभावित करते हैं.
कौन-कौन से टेस्ट कराने चाहिए?
डॉ. वास का मानना है कि हर व्यक्ति को नियमित लिपिड पैनल से आगे जाकर कुछ खास जांच करानी चाहिए, जैसे: एपोलिपोप्रोटीन बी (ApoB), लिपोप्रोटीन(ए), हाई सेंसटिविटी सीआरपी होमोसिस्टीन, ओमेगा-3 इंडेक्स, सीसीटीए स्कैन.
दिल को स्वस्थ रखने के लिए ये काम करें
डॉ. वास दिल को हेल्दी रखने के लिए ओमेगा-3 फैटी एसिड वाले फूड्स का सेवन, खाने के हर भोजन के बाद 10 मिनट की हल्की वॉक, पेप्टाइड्स का सेवन करने और अच्छी नींद लेने की सलाह देते हैं.
Disclaimer: यहां दी गई जानकारी घरेलू नुस्खों और सामान्य जानकारियों पर आधारित है. इसे अपनाने से पहले चिकित्सीय सलाह जरूर लें. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.