नोएडा-ग्रेनो-यमुना प्राधिकरण में भवन निर्माण के नियम एक जैसे होंगे: अब नोएडा, ग्रेटर नोएडा और यमुना विकास प्राधिकरण क्षेत्रों में भवन निर्माण के अलग-अलग नियमों की झंझट खत्म होने जा रही है. उत्तर प्रदेश सरकार ने तीनों औद्योगिक प्राधिकरणों में एक समान बिल्डिंग बायलॉज लागू करने की तैयारी कर ली है. इसका मकसद है, निर्माण प्रक्रिया को आसान बनाना, निवेश को बढ़ावा देना और कागजी अड़चनों को खत्म करना. बीते 1 सितंबर को राज्य स्तरीय कमेटी ने नए ड्राफ्ट की समीक्षा की है. इसमें ग्राउंड कवरेज, एफएआर (फ्लोर एरिया रेशो), सेटबैक, बिल्डिंग की ऊंचाई, पार्किंग और हरियाली से जुड़े नियमों में बड़े बदलाव प्रस्तावित किए गए हैं. इससे बिल्डरों और निवेशकों को पहले से कहीं ज्यादा छूट मिलेगी.
अभी तक उद्योगों के लिए 35 से 60 प्रतिशत, हाउसिंग के लिए 35 से 40 प्रतिशत और संस्थागत व व्यावसायिक निर्माण के लिए 30 से 60 प्रतिशत प्लॉट पर ही निर्माण की अनुमति थी. नए नियमों में यह रोक हटा दी जाएगी. यानी बिल्डर को जमीन के उपयोग में अधिक छूट मिलेगी. जमीन का बेहतर उपयोग सुनिश्चित करने के लिए फ्लोर एरिया रेशो की सीमा भी बढ़ाई जा सकती है. इससे बिल्डरों को ऊंची इमारतें बनाने और ज्यादा स्पेस उपलब्ध कराने का मौका मिले.
खत्म होगी कागजी कार्यवाही की झंझट अब तीनों प्राधिकरणों में निर्माण के लिए अलग-अलग आवेदन और अलग नियम नहीं होंगे. सभी जगह एक जैसी प्रक्रिया अपनानी होगी, जिससे समय और कागजी कार्यवाही की झंझट कम होगी. जुलाई में प्रदेश सरकार ने शहरी विकास प्राधिकरण और हाउसिंग बोर्ड के लिए नए नियम पास किए थे. अब इन्हीं नियमों का विस्तार करते हुए उन्हें नोएडा, ग्रेटर नोएडा और यमुना औद्योगिक विकास प्राधिकरण पर भी लागू किया जाएगा.
ड्राफ्ट तैयार हरी झंडी का इंतजार फिलहाल राज्य स्तरीय कमेटी ने ड्राफ्ट तैयार कर समीक्षा कर ली है. अब इसे अंतिम रूप देकर सरकार की हरी झंडी मिलनी बाकी है. मंजूरी मिलते ही नोएडा, ग्रेटर नोएडा और यमुना प्राधिकरण में निर्माण कार्यों की राह और आसान हो जाएगी. एक्सपर्ट की माने तो इन बदलावों से निवेशकों और बिल्डरों को निश्चित तौर पर राहत मिलेगी। निर्माण क्षेत्र में आने वाली बाधाएं घटेंगी और बड़े प्रोजेक्ट्स को मंजूरी दिलाने की प्रक्रिया तेज होगी. वहीं, आसान नियमों के कारण नए निवेश आने की भी संभावना बढ़ जाएगी.