Uttar Pradesh

नोएडा में फ्लैट बेचना है या रखना? जानिए अक्षत श्रीवास्तव की सलाह पर नोएडा के एक्सपर्ट्स की चौंकाने वाली राय।

नोएडा-गुरुग्राम में फ्लैट खरीदने का सपना हर किसी के लिए बड़ा होता है, लेकिन फाइनेंस एक्सपर्ट अक्षत श्रीवास्तव ने चेतावनी दी है कि अगर आप निवेश के तौर पर फ्लैट खरीद रहे हैं तो उसे तुरंत बेच दें। उनका कहना है कि उत्तर प्रदेश सरकार ग्राउंड कवरेज लिमिट को हटाने और फ्लोर एरिया रेशियो (FAR) को बढ़ाने की तैयारी कर रही है, जिससे पुरानी प्रॉपर्टीज के भाव गिरेंगे और उनका रिसेल यानी बेचना काफी मुश्किल हो जाएगा।

लेकिन, नोएडा के एक्सपर्ट्स का कहना है कि निवेशकों को डरने की कोई जरूरत नहीं है। चार्टर्ड अकाउंटेंट और फाइनेंस एक्सपर्ट आशुतोष अग्रवाल ने कहा, ‘नोएडा और गुरुग्राम में निवेशकों को डरने की कोई जरूरत नहीं है।’ उनका कहना है कि जिस तरह आईजीआई एयरपोर्ट ने गुरुग्राम को विकास का मॉडल बनाया, उसी तरह जेवर एयरपोर्ट नोएडा और ग्रेटर नोएडा को नई पहचान देगा। यहां सप्लाई और डिमांड दोनों साथ-साथ बढ़ेंगे। अब यहां ज्यादा ट्रांसपेरेंसी है और छोटे बिल्डर्स पर कार्रवाई भी हो रही है, जिससे निवेशक सुरक्षित माहौल में अपनी रकम लगा सकते हैं।

आशुतोष अग्रवाल ने आगे कहा कि पिछले 10-15 साल में नोएडा का पूरा परिदृश्य बदल गया है। पहले जहां छोटे बिल्डर्स भोले-भाले बायर्स को फंसाते थे, वहीं अब अथॉरिटी और सरकार का फोकस इन गड़बड़ियों को खत्म करने पर है। विदेशी कंपनियों और बड़े प्रोजेक्ट्स के आने से यहां का रियल एस्टेट और मजबूत होगा। कनाडा में अगर आपने घर खरीदा है तो उसकी वैल्यू गिर जाएगी, लेकिन यह तर्क नोएडा पर लागू नहीं होता। यहां इन्वेस्टमेंट पर अच्छा रिटर्न मिलने के पूरे आसार हैं।

इंडस्ट्री एक्सपर्ट विपुल शर्मा ने कहा कि गुरुग्राम और नोएडा की तुलना करना ही गलत है। बरसात के दिनों में गुरुग्राम की हालत सबने देखी, वहां का इंफ्रास्ट्रक्चर दबाव झेल नहीं पाया। लेकिन, नोएडा और ग्रेटर नोएडा पूरी तरह प्लान सिटी है। यहां अथॉरिटी यीडा अथॉरिटी, नोएडा अथॉरिटी और ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी मिलकर विकास को दिशा में काम कर रही हैं। एयरपोर्ट, आईटी हब, टेक्सटाइल्स हब और एंटरटेनमेंट प्रोजेक्ट्स की वजह से यहां रहने वाले लोगों की संख्या लगातार बढ़ेगी। यानी सप्लाई जितनी बढ़ेगी, डिमांड भी उतनी ही तेजी से बढ़ेगी।

विपुल शर्मा ने कहा कि शहर का असली भविष्य डिमांड और सप्लाई के बैलेंस से तय होता है। अगर किसी शहर में सप्लाई बहुत हो लेकिन डिमांड कम रहे तो वहां प्रॉपर्टी डूब सकती है। लेकिन, नोएडा-ग्रेटर नोएडा की कहानी अलग है। यहां अभी से बड़े कॉरपोरेट्स, इंडस्ट्रीज और विदेशी निवेशक आ रहे हैं। जेवर एयरपोर्ट जैसे प्रोजेक्ट के चलते यहां डिमांड लगातार बनी रहेगी। यानी डरने की बजाय निवेशकों को लंबे समय तक टिके रहना चाहिए।

हालांकि, उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि पिछले कुछ सालों में अथॉरिटीज और सरकार की कमियों के चलते कई बायर्स को धोखा झेलना पड़ा है। अधूरी रजिस्ट्री और फंसे हुए प्रोजेक्ट्स की वजह से खरीदारों का भरोसा हिला है। उनका कहना है कि इन समस्याओं को दूर कर खरीदारों का भरोसा लौटाया जाना चाहिए ताकि निवेश सुरक्षित बन सके।

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