नई दिल्ली: राष्ट्रीय निकाल परीक्षा (एनएक्सटी) को लेकर एक बड़ी खबर आ रही है। यह परीक्षा मेडिकल ग्रेजुएट्स के लिए एक मानक प्रवेश परीक्षा होगी, लेकिन अब इसकी शुरुआत को लेकर एक नई घोषणा हुई है। राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (एनएमसी) ने बुधवार को कहा है कि एनएक्सटी को तुरंत लागू नहीं किया जाएगा।
इस घोषणा के बाद फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया मेडिकल एसोसिएशन (एफएआईएमए) के एक प्रतिनिधिमंडल ने एनएमसी के चेयरमैन डॉ. अभिजीत शेठ से मुलाकात की। एफएआईएमए के एक बयान में कहा गया है कि चेयरमैन ने बताया कि एनएक्सटी को तुरंत लागू नहीं किया जाएगा। अगले 3-4 सालों में एनएमसी मॉक टेस्ट आयोजित करेगा, जो पूरी तरह से एनएमसी के द्वारा फंड किए जाएंगे। इन मॉक टेस्ट के माध्यम से एनएमसी को यह जानने का मौका मिलेगा कि यह परीक्षा कितनी संभव है और छात्रों और संस्थानों से क्या प्रतिक्रिया मिलेगी। इन ट्रायल रन के परिणामों और प्रतिक्रियाओं के आधार पर ही एनएक्सटी को अंततः लागू किया जाएगा।
एनएक्सटी को लेकर विरोध काफी मजबूत है। मेडिकल छात्रों, विभिन्न रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन और भारतीय चिकित्सा एसोसिएशन के विरोध के कारण इस परीक्षा को लागू करने की योजना को रोक दिया गया है। इस परीक्षा को लागू करने का प्रस्ताव अगस्त 2025 से लागू करने का था। सरकार ने यह परीक्षा MBBS ग्रेजुएट्स के लिए एक नए राष्ट्रीय स्तर की परीक्षा के रूप में प्रस्तावित किया है। इस परीक्षा को लागू करने के बाद NEET-PG और फॉरेन मेडिकल ग्रेजुएट एक्जामिनेशन को समाप्त कर दिया जाएगा, जो भारतीय नागरिकों और भारतीय नागरिकता के लिए विदेशी देशों से प्राथमिक चिकित्सा डिग्री पूरी करने वाले लोगों के लिए एक आवश्यक लाइसेंसिंग परीक्षा है।
एफएआईएमए के प्रतिनिधिमंडल ने इस दौरान अपने राष्ट्रीय सर्वेक्षण के निष्कर्षों के बारे में भी चर्चा की। इस सर्वेक्षण में पता चला है कि भारत के प्रमुख चिकित्सा महाविद्यालयों में पढ़ रहे लगभग 40 फीसदी मेडिकल छात्रों को टॉक्सिक वातावरण में काम करना पड़ता है।

