NEET UG 2025 Result | MBBS Alternative Courses | NEET Alternative Careers for candidates with poor marks | नीट यूजी रिजल्ट में कम मार्क्स होने पर क्या करें?

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नई दिल्ली (NEET UG 2025 Result). भारतीय मेडिकल कॉलेजों के मेडिकल और डेंटल कोर्सेज में एडमिशन के लिए नीट ही एकमात्र ऑप्शन है. इस साल 22,76,069 उम्मीदवारों ने नीट यूजी परीक्षा के लिए रजिस्ट्रेशन किया था. इनमें से 22,09,318 ने मेडिकल प्रवेश परीक्षा दी थी और उनमें से 12,36,531 सफल हुए हैं. नीट यूजी 2025 में कम स्कोर हासिल करना निराशाजनक हो सकता है, लेकिन यह आपके करियर का अंत नहीं है. आप अभी भी मेडिकल की पढ़ाई कर सकते हैं.नीट यूजी रिजल्ट 2025 में अगर आपकी रैंक 1,00,000 से ज्यादा या मार्क्स 500 से कम हैं तो सरकारी MBBS कॉलेज में एडमिशन मुश्किल हो सकता है. इसके बावजूद मेडिकल क्षेत्र में करियर बनाने के लिए आपके पास कई अन्य विकल्प उपलब्ध हैं. नीट यूजी 2025 रिजल्ट में कम रैंक हासिल करने वाले उम्मीदवार एमबीबीएस के अलावा मेडिकल के अन्य कोर्सेस भी एक्सप्लोर कर सकते हैं. अगर आपको एमबीबीएस ही करना है तो निजी मेडिकल कॉलेज में एडमिशन ले सकते हैं.

नीट यूजी रिजल्ट में कम मार्क्स पर क्या करें?

नीट यूजी रिजल्ट 2025 में कम मार्क्स होने पर कैंडिडेट्स नीचे लिखे 5 ऑल्टरनेटिव ऑप्शंस एक्सप्लोर कर सकते हैं-

1. वैकल्पिक मेडिकल कोर्सेज (MBBS Alternative Courses)

अगर MBBS में एडमिशन नहीं मिलता है तो आप मेडिकल के अन्य कोर्सेज में एडमिशन ले सकते हैं, जो कम रैंक पर भी उपलब्ध हैं:

BDS (बैचलर ऑफ डेंटल सर्जरी): डेंटल कोर्स में दाखिला 3,00,000 तक की रैंक पर संभव है, खासकर निजी कॉलेजों में.

BAMS (आयुर्वेद), BHMS (होम्योपैथी), BUMS (यूनानी): AYUSH कोर्सेज के लिए कटऑफ MBBS से कम होती है. 2,00,000-5,00,000 रैंक पर निजी या सरकारी AYUSH कॉलेज में एडमिशन मिल सकता है.

BSc नर्सिंग: कई संस्थान 1,00,000+ रैंक पर दाखिला देते हैं. फीस लगभग 40,000-50,000 रुपये/वर्ष है.

पैरामेडिकल और संबद्ध मेडिकल साइंस: BSc फिजियोथेरेपी, मेडिकल लैब टेक्नोलॉजी, रेडियोग्राफी, डायलिसिस थेरेपी या क्रिटिकल केयर टेक्नोलॉजी जैसे कोर्स में दाखिले का ऑप्शन है. ये 3-4 साल के कोर्स हैं और 2,00,000+ रैंक पर उपलब्ध हैं.

बी फार्मा (फार्मेसी): फार्मास्यूटिकल साइंस में डिग्री के लिए कई निजी संस्थान 2,00,000-5,00,000 रैंक स्वीकार करते हैं.

SRM मेडिकल कॉलेज, चेन्नई: MBBS के लिए करीब 2,00,000 रैंक पर दाखिला मिल सकता है.

राजा राजेश्वरी मेडिकल कॉलेज, बेंगलुरु: करीब 1,50,000-3,00,000 रैंक.

कलिंगा इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज, भुवनेश्वर: लगभग 2,00,000+ रैंक.

राज्य कोटा: कई राज्यों में निजी कॉलेजों में राज्य कोटा सीटें 3,00,000 तक रैंक पर उपलब्ध हैं.

ध्यान दें: निजी कॉलेजों की फीस 50 लाख से 1 करोड़ रुपये (5 वर्ष) हो सकती है. सुनिश्चित करें कि कॉलेज मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया (MCI) से मान्यता प्राप्त हो.

3. विदेश में MBBS

अगर बजट ठीक-ठाक है और देश से बाहर जाने में परेशानी नहीं है तो विदेश से एमबीबीएस करना एक अच्छा विकल्प है. रूस, यूक्रेन, जॉर्जिया, नेपाल और बांग्लादेश जैसे देशों में 300-500 अंकों (1,00,000+ रैंक) पर एडमिशन मिल सकता है.

फायदा: कम कटऑफ, किफायती फीस (20-40 लाख रुपये कुल) और MCI/NMC मान्यता वाले कॉलेज.

ध्यान दें: विदेशी डिग्री के लिए भारत में FMGE (Foreign Medical Graduate Examination) पास करना अनिवार्य है.

4. दोबारा प्रयास (ड्रॉप ईयर)

अगर आप सरकारी मेडिकल कॉलेज के एमबीबीएस कोर्स में ही एडमिशन लेना चाहते हैं और अगले साल बेहतर रैंक की उम्मीद है तो एक साल ड्रॉप कर सकते हैं.

रणनीति:मेडिकल कोचिंग संस्थान में एडमिशन लें. पिछले कुछ सालों के नीट पेपर और नीट यूजी मॉक टेस्ट हल करें. कमजोर विषयों (विशेषकर फिजिक्स) पर फोकस करें. टाइम मैनेजमेंट और एक्यूरेसी पर काम करें.

रिस्क: एक साल का समय और मेहनत इन्वेस्ट करना होगा, लेकिन 600+ अंक (टॉप 10,000 रैंक) के लिए यह फायदेमंद हो सकता है.

5. अन्य क्षेत्रों में करियर

अगर मेडिकल क्षेत्र में रुचि कम हो तो बायोटेक्नोलॉजी, बायोकेमिस्ट्री या एग्रीकल्चर साइंस जैसे कोर्स चुन सकते हैं. ये कोर्स CUET UG या विश्वविद्यालय-स्तरीय प्रवेश परीक्षाओं के माध्यम से उपलब्ध हैं.

2- कॉलेज रिसर्च: NIRF रैंकिंग, MCI मान्यता और बुनियादी ढांचा जांचें.

3- वित्तीय योजना: निजी कॉलेज या विदेश से MBBS करने के लिए बजट और लोन विकल्पों पर विचार करें.

4- मानसिक स्वास्थ्य: कम रैंक से निराश न हों. करियर काउंसलर से सलाह लें और पॉजिटिव रहें.

5- अपडेट्स: neet.nta.nic.in और mcc.nic.in पर काउंसलिंग और कटऑफ चेक करते रहें.

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